लखनऊ : किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) कोरोनावायरस संक्रमण से ठीक हुए रोगियों के ‘प्लाज्मा बैंक’ बनाने का प्रयास कर रहा है. ताकि केजीएमयू के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों के इस महामारी से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों की प्लाज्मा थेरेपी के जरिये जान बचायी जा सकें.
केजीएमयू इसके लिए कोरोनावायरस से ठीक हुए रोगियों को प्लाज्मा का महत्व समझा कर उन्हें प्लाज्मा देने के लिये जागरूक कर रहा है. इस संस्थान में अभी तक कोरोनावायरस से संक्रमित 12 मरीज ठीक हो चुके है, जिनमें से तीन ने प्लाज्मा दे दिया है.
केजीएमयू के कुलपति प्रो.एम एल बी भट्ट ने मंगलवार को विशेष बातचीत में कहा, ‘उत्तर प्रदेश के पहले सरकारी मेडिकल कॉलेज केजीएमयू द्वारा रविवार को प्लाज्मा थेरेपी किसी कोरोना रोगी को दी गयी है. अभी तक हमारे पास कोरोनावायरस से ठीक हुये तीन लोगों का प्लाज्मा उपलब्ध था. जिनमें से एक का प्लाज्मा तो इस्तेमाल हो गया है. अब हम जो रोगी ठीक हो गये है, उन्हें फोन कर समझा रहे है कि उनका दिया हुआ प्लाज्मा किसी गंभीर रोगी की जिंदगी बचा सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि इस बीमारी से ठीक हुए अधिक से अधिक लोग अपना प्लाज्मा दान दे ताकि हम केजीएमयू में एक ‘प्लाज्मा बैंक’ बना सकें और इस बैंक के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में भर्ती कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के उपचार के लिये उपलब्ध करा सकें. प्रो. भटट ने कहा कि जिस प्रकार से हमारे पास ‘ब्लड बैंक’ है, उसी तरह हम प्लाज्मा बैंक भी बनायेंगे और इसके लिए हम चाहते हैं कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में प्लाज्मा एकत्र हो जायें. उन्होंने कहा कि जिस तरह से किसी रोगी को खून चढ़ाया जाता है, उसी तरह से प्लाज्मा चढ़ाया जाता है.
केजीएमयू की ‘ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग’ की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने मंगलवार को बातचीत में कहा, ‘कोरोना वायरस से ठीक हुये किसी भी मरीज का प्लाज्मा एक वर्ष तक माइनस 40 डिग्री सेंटीग्रेट तक सुरक्षित रखा जा सकता है. अभी तक कोरोना वायरस से ठीक हुये तीन रोगियों ने अपना प्लाज्मा दान कर दिया है, इसमें से एक महिला डॉक्टर का प्लाज्मा कोरोना वायरस से पीड़ित एक डाक्टर को दिया गया.’ उन्होंने कहा कि अभी तक केजीएमयू से 12 कोरोना मरीज ठीक हो चुके है, इनमें से बाकी मरीजों को भी हम प्लाज्मा देने का महत्व समझा रहे है ताकि वे अपना प्लाज्मा दान करें.
उन्होंने बताया, ‘कोरोनावायरस से ठीक हुए किसी भी व्यक्ति का प्लाज्मा लेने के लिये हम उनके रक्त की जांच करते है. यह देखा जाता है कि उनका रक्त इस लायक है कि उसमें से प्लाज्मा निकाला जा सकें. इसके बाद कोरोना एंटीबॉडी टेस्ट, एचआईवी, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, मलेरिया, सिफलिस, सीरम प्रोटीन और ब्लड ग्रुप का मिलान किया जाता है और इसके बाद ही प्लाज्मा का संग्रह किया जाता है.
उत्तर प्रदेश में रविवार को पहली बार राजधानी लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में किसी कोरोना रोगी को पहली प्लाज्मा थेरेपी दी गयी. यह रोगी उरई के 58 वर्षीय एक चिकित्सक है जिनको प्लाज्मा देने वाली भी कनाडा की एक महिला चिकित्सक है जो यहां केजीएमयू में भर्ती हुई थी.
केजीएमयू के मीडिया प्रभारी डा. संदीप तिवारी ने बताया, ‘उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित रोगी को केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी दी गयी है. इन्हें मंगलवार तक प्लाज्मा थेरेपी की दो डोज दी जा चुकी है और उनकी हालत अब स्थिर है.’