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Friday, 22 November, 2024
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आईआईटी का पांच सेकेंड में एक्स-रे से कोविड-19 का पता लगाने का दावा, मंजूरी के लिए किया आईसीएमआर का रुख

बृहस्पतिवार को आईआईटी दिल्ली के बेहद कम दाम में कोविड-19 बीमारी की जांच के लिए एक तरीका विकसित किया है जिसे आईसीएमआर ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है.

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नई दिल्ली: आईआईटी रूड़की के एक प्राध्यापक ने ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित करने का दावा किया है जो संदिग्ध मरीज के एक्स-रे स्कैन का प्रयोग कर पांच सेकेंड में कोविड-19 का पता लगा सकता है.

प्राध्यापक ने इस सॉफ्टवेयर को पेटेंट कराने के लिए आवेदन दिया है और इसकी समीक्षा के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का रुख किया है. उन्हें इस सॉफ्टवेयर को विकसित करने में 40 दिन का समय लगा.

सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापक कमल जैन ने दावा किया कि सॉफ्टवेयर न सिर्फ जांच का खर्च कम करेगा बल्कि स्वास्थ्य पेशेवरों के वायरस के संपर्क में आने का जोखिम भी घटाएगा.

अब तक उनके इस दावे की किसी चिकित्सा संस्थान ने पुष्टि नहीं की है.

जैन ने कहा, ‘मैंने कोविड-19, निमोनिया और तपेदिक के मरीजों के एक्स-रे समेत करीब 60,000 एक्स-रे स्कैन का विश्लेषण करने के बाद कृत्रिम बुद्धिमता आधारित डेटाबेस विकसित कर इन तीनों बीमारी में छाती के जमाव (कंजेशन) के बीच अंतर को पता लगाया. मैंने अमेरिका की ‘एनआईएच क्लिनिकल सेंटर’ में उपलब्ध छातियों के एक्स-रे के डेटाबेस का भी विश्लेषण किया.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे विकसित स़ॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर डॉक्टर, लोगों के एक्स-रे की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं. सॉफ्टवेयर न सिर्फ यह आंकेगा कि मरीज में निमोनिया का कोई लक्षण है या नहीं बल्कि यह भी बताएगा कि यह कोविड-19 के कारण है या किसी अन्य जीवाणु के कारण और संक्रमण की गंभीरता भी मापेगा.’

जैन ने कहा, ‘परिणाम महज पांच सेकेंड में प्राप्त हो जाएंगे.’

आईआईटी दिल्ली के जांच के तरीके को आईसीएमआर की मिली मंजूरी

बता दें कि बृहस्पतिवार को दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने बेहद कम दाम में कोविड-19 बीमारी की जांच के लिए एक तरीका विकसित किया है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने इसे अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है.

उन्होंने कहा कि य़ह सॉफ्टवेयर सटीक प्रारंभिक जांच में मदद कर सकते हैं जिसके बाद घातक वायरस से संक्रमित पाए गए लोगों की आगे की जांच की जा सकेगी.

आईआईटी-दिल्ली पहला अकादमिक संस्थान है जिसके द्वारा ‘पॉलीमराइज चेन रिएक्शन (पीसीआर)’ विधि से विकसित की गई जांच को आईसीएमआर ने स्वीकृति प्रदान की है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जांच के तरीके को आईसीएमआर द्वारा मंजूरी दी गई है. इस जांच को आईसीएमआर में परखा गया जिसमें नतीजे सौ प्रतिशत सही मिले हैं.

इस प्रकार आईआईटी-दिल्ली पहला अकादमिक संस्थान है जिसके द्वारा पीसीआर विधि से विकसित की गई जांच को आईसीएमआर ने स्वीकृति प्रदान की है.’

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