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Friday, 20 September, 2024
होमदेशलॉकडाउन न होता तो भारत में कोविड-19 के 73,000 मामले होते, अब डबलिंग रेट 9 दिन में : भारत सरकार

लॉकडाउन न होता तो भारत में कोविड-19 के 73,000 मामले होते, अब डबलिंग रेट 9 दिन में : भारत सरकार

पिछले 24 घंटों में 1684 नए मामले सामने आए हैं और कुल मामलों की संख्या बढ़कर 23077 हो गई है. वहीं, देश में कोरोना के मरीज़ों का रिकवरी रेट यानी ठीक होने की दर 20.5 प्रतिशत हो गया है.

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नई दिल्ली: कोविड-19 से जुड़े सबसे ताज़ा अपडेट में जानकारी सामने आई है कि पिछले 24 घंटों में 1,684 नए मामले सामने आए हैं और कुल मामलों की संख्या बढ़कर 23,077 हो गई है. वहीं, देश में कोरोना के मरीज़ों का रिकवरी रेट यानी ठीक होने की दर 20.5 प्रतिशत हो गया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के उप सचिव लव अग्रवाल ने जानकारी दी कि देश में अब ऐसे 15 ज़िले हैं, जहां पिछले 28 दिनों में कोई मामला सामने नहीं आया है. वहीं, 80 ज़िले ऐसे भी हैं जहां से पिछले 14 दिनों में कोई मामला सामने नहीं आया है. नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (एनसीडीसी) के निदेशक सुरजीत सिंह ने कहा कि कोरोनावायरस से किसी ने किसी तरह जुड़े होने की कारण देश भर में 9.45 लाख़ लोगों को निगरानी में रखा गया है.

नीति आयोग सदस्य और कोरोना पर बने इंपावर्ड ग्रुप- 1 के चेयरमैन डॉक्टर वीके कौल ने कहा, ‘अभी देश भर में 23,000 मामले हैं. अगर लॉकडाउन नहीं होता तो ये संख्या 73,000 हज़ार के करीब होती.’ वहीं, लव अग्रवाल ने कहा कि अभी भारत कोरोना वायरस के कर्व को फ्लैट कर पा रहा है. उन्होंने कहा, ‘हम अपने प्रयास दवाओं पर चल रहे काम के अलावा व्यवहार में जो बदलाव आ रहा है, उसी के आधार पर सितंबर तक चीज़ें बेहतर होने की तरफ़ बढ़ने के संभावना है.’

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य  मंत्रालय ने ये फ़ैसला भी किया है कि कोविड-19 से जुड़ा एक ट्विटर हैंडल शुरू किया जाएगा जहां इससे जुड़े सवालों के त्वरित जवाब दिए जाएंगे. डायरेक्टर एनसीडीसी ने जानकारी दी कि कैसे ये बॉडी सर्वेलांस का काम कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘सर्वेलांस सिस्टम का काम विभिन्न मंत्रालयों को बीच समन्यवय स्थापित करना. कम्युनिटी सर्वेलांस इस बीमारी से लड़ने के मामले में बड़ा हथियार है. लोगों को चिन्हित करके उन्हें या तो इलाज या क्वारेंटीन के लिए भेजा जाता है.’

उन्होंने ये जानकारी भी दी कि ज़िला स्तर पर ज़िला सर्वेलांस सिस्टम हैं, जिसमें डीएम के अलावा ज़िला प्रशासन से जुड़े अन्य लोग शामिल होते हैं. ज़िला सर्वेलांस सिस्टम के तहत डोर टू डोर सर्च करके सैंपल इक्ट्ठा किया जाता है और नतीजे के हिसाब से कदम उठाए जाते हैं. ये ज़िला से केंद्र तक के नेटवर्क का पहला पड़ाव है.

उन्होंने कहा कि ये सिस्टम 23 जनवरी से काम कर रहा है और जानकारी दी कि लॉकडाउन से जुड़े ऐसे ही अथक प्रयासों की वजह से आज भारत का डबलिंग रेट नौ दिन (8.6) तक पहुंच गया है.

मेडिकल इमरजेंसी के लिए जिम्मेदार इंपावर्ड ग्रुप- 1 के चेयरमैन ने ये भी कहा कि कुल विशेषज्ञों के हिसाब से मामलों के दोगुना होने का समय अब 14 दिन का हो गया है. उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान देश ने अपने व्यवहार बदला है. देश ने इसे जनआंदोलन का रूप दिया है. कम्युनिटी पार्टिसिपेशन बहुत सफल रहा और इसके लिए लोगों की सराहना की जानी चाहिए.’

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