बंगलुरु: कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ी जा रही वैश्विक जंग में क्या मास्क की भूमिका अहम है? यह सवाल विश्व के हर हिस्से में आजकल उभर रहा है और सुरक्षा के लिए मास्क के इस्तेमाल पर जोर भी दिया जा रहा है.
विज्ञान के एक जर्नल को दिए एक साक्षात्कार में चाइनीज़ सेंटर फॉर डीसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के महानिदेशक जॉर्ज गऊ ने पिछले हफ्ते कहा था, ‘मेरे विचार में यूएस और अमेरिका में जो सबसे बड़ी गलती की जा रही है वो है कि लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं.’
रविवार को वाशिंगटन पोस्ट ने आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि) पर शोध करने वाले जेरमी होवर्ड का दृष्टिकोण छापा था जिसमें उन्होंने कहा कि चेक गणराज्य में ऐसा देखा गया है कि डीआईवाई मास्क के इस्तेमाल ने आंकड़ों में कुछ कमी की है और लोगों को अपनी दिन-प्रतिदन के श्वास संबंधी सेहत के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
इस बात के प्रति आश्वस्त इसलिए हुआ जा सकता है क्योंकि जो डाटा इस्तेमाल किया गया वो रियल-टाइम आधारित है.
चेक के नतीजे
चेक गणराज्य सरकार पिछले कुछ दिनों से देख रही है कि आंकड़ों में बड़ी तेज़ी से गिरावट आई है. बहुत सारे लोग इस सुधार के पीछे मास्क के इस्तेमाल को वजह मान रहे हैं.
प्राग स्थित एस्ट्रोनॉमिकल इंस्टीट्यूट ऑफ चेक अकेडमी ऑफ सांइसेस में एस्ट्रोफिजिसिस्ट अभिजीत बोरकर ने दिप्रिंट को ई-मेल के जरिए बताया, ‘सरकार ने 18 मार्च को सभी के लिए मास्क पहनना या चेहरे को ढकने वाले किसी अन्य चीज को अनिवार्य कर दिया था. लोगों ने अपने घरों में मास्क बनाने शुरू कर दिए थे और अलग-अलग डिजाइनों के मास्क तैयार किए.’
उन्होंने कहा कि लोगों ने इस बात को गंभीरता से लिया. ‘मैंने पिछले 15 दिन में ऐसा कोई भी व्यक्ति बाहर नहीं देखा जिसने मास्क न पहना हो.’
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इसी महीने मेडिकल जर्नल लांसेट में एक अध्ययन प्रकाशित हुई थी जिसमें कहा गया कि ‘मौजूद साक्ष्यों के अनुसार कोविड-19 लक्षण आने से पहले ही फैल सकता है इसलिए सामुदायिक स्तर पर अगर इसे फैलने से रोकना है तो संक्रमित व्यक्ति के साथ-साथ जो संक्रमित या जिनमें इस प्रकार के लक्षण नहीं है उन्हें भी मास्क पहनना चाहिए.’
मास्क क्या करते हैं
अध्ययन के अनुसार डीआईवाई मास्क यानी की डू इट योरसेल्फ जो कि सूती के कपड़े से बना होता है वो एन्फ्ल्यूएंजा वायरस के खिलाफ बचाव के लिए न इस्तेमाल किए गए किसी भी सुरक्षा उपाय से बेहतर है. मास्क पहनने से पूरी तरह सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती है लेकिन ये बहुत सारी संभावित संक्रमण से बचाव कर सकता है.
यह उन स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भी जरूरी है जो संक्रमित या गैर-संक्रमित लोगों के संपर्क में आते हैं. लेकिन हर जगह मेडिकल मास्क की कमी है. पूर्वानुमित परिणाम को देखते हुए प्रशासन ने जनता को मास्क खरीदने से मना कर दिया.
मास्क अभी भी लोगों को बीमारी फैलाने से लक्षण नहीं दिखाने में मदद कर सकता है. अधिकारियों, विश्व स्वास्थ्य संगठन, वैज्ञानिकों, महामारी विज्ञानियों, और डॉक्टरों के लिए प्राथमिक कारण लोगों को मास्क खरीदने और उपयोग न करने का आग्रह करना है, क्योंकि स्वास्थ्य सुविधाओं में उनकी कमी सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक जोखिम भरा है- बीमार स्वास्थ्यकर्मी किसी की भी देखभाल नहीं कर सकते हैं.
जब तक एक निर्दिष्ट तरीके से उपयोग नहीं किया जाता है, मास्क स्वस्थ लोगों के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकता है जो संक्रमित लोगों के संपर्क में नहीं आ सकते हैं.
उचित तरीके से मास्क पहनने से खांसी, छींकने या यहां तक कि बोलते समय खांसी की बूंदों को रोकने में मदद मिल सकती है. चूंकि कोविड-19 लगभग विशेष रूप से इस तरीके से फैलता है, संक्रमित के लिए मास्क सबसे आवश्यक हैं.
साइंस को दिए साक्षात्कार में गऊ ने कहा, ‘यह वायरस बूंदों और संपर्क में आने के कारण होता है. खासी के दौरान निकली बूंदे महत्वपूर्ण होती है क्योंकि जब भी आप बोलते हैं तो मुंह से थूक निकलता है इसलिए मास्क पहनने की आवश्यकता है. बहुत से लोगों को एसिम्प्टोमैटिक या प्रीसिम्पटिक संक्रमण होता है. यदि वे चेहरे पर मास्क पहन रहे हैं, तो यह उन बूंदों को रोक सकता है जो वायरस को फैलाता है.’
बचाव के लिए सिर्फ मास्क ही काफी नहीं है. ऑक्सफोर्ड के एक अध्ययन ने पाया कि ‘मास्क एक जटिल हस्तक्षेप का केवल एक घटक है जिसमें आंखों की सुरक्षा, गाउन, उचित डॉफिंग और डोनिंग का समर्थन करने के लिए व्यवहार के उपाय और सामान्य संक्रमण नियंत्रण उपायों को भी शामिल करना होगा’.
चेक गणराज्य की स्थिति समान है. 1 मार्च को देश को अपने पहले तीन पुष्ट मामले मिले. 12 मार्च को, सरकार ने पहली बार कई शताब्दियों में आपातकाल की घोषणा की, अपनी सीमाओं को बंद कर दिया और देशव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की. 18 मार्च को, इसने मास्क को अनिवार्य बना दिया. उपायों को पहले 24 मार्च तक लागू किया जाना था, लेकिन फिर 1 अप्रैल तक और बाद में 12 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया.
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बोरकर ने कहा, ‘तीन चीजों ने संख्याओं को कम रखने और प्रसार को कम करने में मदद की. पहला, सीमाओं को जल्दी बंद करना. दूसरा, सिर्फ कुछ दुकानों को बंद करने से लेकर सब कुछ बंद करने और 5 से अधिक लोगों के सार्वजनिक स्थान पर जमा होने पर रोक. तीसरा, मास्क पहनना.’
बोरकर ने कहा, ‘आवश्यक कार्य और परिवार के बाहर, दो से अधिक लोगों को एक साथ मिलने की अनुमति नहीं है.’
मौसमी फ्लू और सर्दी से बचाव करने में भी मास्क की भूमिक अहम है जिससे अस्पताल पर बोझ कम पड़ा है. बोरकर ने कहा कि इस बार मौसमी फ्लू का प्रकोप भी कम हुआ है.
डीआईवाई और कपड़े के मास्क
सर्जिकल मास्क की कमी के बीच कॉटन टी शर्ट से बने डीआईवाई कपड़े के मास्क लोकप्रिय हो रहे हैं. लेकिन ये केवल एक अल्पकालिक समाधान के रूप में प्रभावी हो सकते हैं, विशेष रूप से स्वस्थ लोगों के लिए जो संक्रमितों के संपर्क में नहीं आते हैं. यदि कोई संक्रमित रोगी संपर्क में आता है तो यह सुरक्षित नहीं हैं. अगर संक्रमित व्यक्ति इस मास्क को पहने हुए है तब भी सुरक्षित नहीं है.
सर्जिकल मास्क की तुलना में क्लॉथ मास्क के यादृच्छिक परीक्षणों से पता चलता है कि क्लॉथ मास्क कणों को 97 प्रतिशत तक प्रवेश की अनुमति देते हैं जबकि मेडिकल मास्क 44 प्रतिशत कणों की अनुमति देते हैं. अध्ययन में यह भी पाया गया कि नमी और मास्क का फिर से उपयोग संक्रमण की संभावना को बढ़ाता है. इसके अलावा, नमी से मैलापन की संभावना भी बढ़ जाती है.
हॉवर्ड ने अपने पहले के ओपिनियन लेख में लिखा था कि ‘यह सच है कि मास्क दूषित हो सकते हैं. लेकिन बेहतर यह है कि मास्क ही दूषित होता है उसको पहनाने वाला व्यक्ति नहीं. किसी मास्क को धोना या हटाना मुश्किल नहीं होता है और फिर किसी दूषित मास्क के संक्रमित होने से रोकने के लिए हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए.’
लेकिन कोविड-19 एक सांस से संबंधित बीमारी है. यदि नाक या मुंह पर पहना जाने वाला मास्क दूषित है, तो व्यक्ति निश्चित रूप से दूषित हो जाएगा. इसके अतिरिक्त, दिन में मास्क को ऊपर और नीचे खींचते हुए चेहरे को छूने से संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है.
वैज्ञानिक सबूत और अध्ययन होने के बावजूद, जिसमें यह सुझाव दिया गया है कि एन 95 इन्फ्लूएंजा से संबंधित विषाणुओं को रोकने में प्रभावी नहीं है, यह संख्या चेक गणराज्य जैसे छोटे देश के लिए पर्याप्त है.
कई विशेषज्ञों ने मास्क के लिए वैध तर्क दिए हैं, लेकिन महामारी को नियंत्रित करने का प्रयास करते समय उनकी उपलब्धता, विधि और उपयोग की प्राथमिकता महत्वपूर्ण बनी हुई है.
‘यदि हम मास्क पहनते हैं, तो संक्रमण की संभावना कम होती है’
हालांकि कोरोना के प्रकोप के शुरुआती दिनों के दौरान मास्क आवश्यक नहीं था, जैसे ही यह बीमारी समाज में तेजी से फैली है, तब सुरक्षा लेना महत्वपूर्ण बन गया है.
अगर चेक मॉडल को देखें तो दूसरों के संपर्क में आने के जोखिम वाले स्थानों पर नाक और मुंह के चारों ओर रुमाल बांध ले तो कुछ मदद मिल सकती है.
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हॉवर्ड के मुताबिक ‘अगर हम सभी मास्क पहनते हैं, जो लोग अनजाने में कोरोनोवायरस से संक्रमित होते हैं तो इसके फैलने की संभावना कम होगी और यह निष्पक्ष रूप से सच है. यहां तक कि न्यूनतम संरक्षण भी नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार में बदलाव ला सकता है जिससे संक्रमित लोगों की संख्या में कमी आ सकती है.
सभी को तुरंत मास्क खरीदने और मास्क का उपयोग तुरंत शुरू करने की आवश्यकता नहीं है. डीआईवाई रबर बैंड-पेपर तौलिए और कॉटन वाले सहित कोई भी मास्क हों कुछ घंटों के लिए तो ठीक हैं जब तक कि वे उपयोग किए जाते हैं.
बोरकर ने कहा, ‘मैं सर्दियों के लिए एक मास्क का इस्तेमाल कर रहा हूं, क्योंकि मैंने अपने एन 95 को अपने दोस्त की पत्नी को दे दिया है जोकि नर्स है’.
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए होममेड मास्क पर एक मैनुअल जारी किया है. उसमें कहा गया है कि मास्क 70 प्रतिशत प्रभावी हैं और अन्य उपायों के साथ संयोजन में उपयोग किया जाए.
ये घर पर बने मास्क पुराने सूती कपड़े से बने होते हैं और इन्हें फिर से साफ करने के तरीके के बारे में अच्छे से निर्देश दिए गए हैं.
हालांकि, सर्जिकल मास्क अभी भी स्वास्थ्य कर्मियों और बाकी सभी लोगों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए. दूसरों के लिए कपड़ा या अन्य डीआईवाई मास्क कुछ बुनियादी सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, लेकिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए काम में आ सकते हैं जो संक्रमित हैं और स्पर्शोन्मुख भी हैं.
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