नई दिल्ली: नीति आयोग ने कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए एक 100 दिन की योजना तैयार करना शुरू किया है. नीति आयोग के प्रमुख अमिताभ कांत और मेंबर (स्वास्थ्य) वीके पॉल के नेतृत्व में एक विस्तृत योजना बनाई जा रही है जिसमें अगले तीन महीने में आने वाली आपातकालीन ज़रूरतों का आकलन किया जा रहा है. अगर कोरोनावायरस और भयानक रूप लेता है तो ये योजना काम में आयेगी.
इस योजना के तहत नीति आयोग केंद्र सरकार से उसके सामान की ज़रूरत के आंकलन को साझा करेगी.
दिप्रिंट को पॉल ने बताया, ‘इस योजना का मकसद फौरी और मध्य समयावधि में जरूरतों के लिए स्वयं को तैयार करना है- ये डाटा जो बता रहा है और जो साक्ष्य उपलब्ध है उसके आधार पर तय किया गया है.’
पॉल का कहना था कि राज्य सरकारें और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय मिलकर गहन कोशिश कर रहे हैं कि व्यवस्थित आंकलन और योजनाबद्ध तरीके से जरूरतों को पूरा करने की तैयारी कर पाये. इसके लिए देश में और दुनिया भर में उपलब्ध डाटा की जांच कर बीमारी की संभावित अवस्था को ध्यान में रख कर योजना तैयार की जायेगी. एक थिंक टैंक होने के नाते हमारे तेजी से बदलते घटनाक्रम में समय पर उपाय देना राष्ट्र की कोशिशों में मददगार होगा.
उनका साथ ही कहना था कि भारत में अभी इस बिमारी का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरु नहीं हुआ है.
बुधवार तक स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा के अनुसार भारत में 606 कोरोनावायरस के केस सामने आये थे. एक्टिव कोविड-19 केसों की संख्या 553 थी जबकि 43 लोगों का इलाज हो गया था और वे ठीक होकर डिस्चार्ज हो गए थे.
आयोग क्या परखेगा
नीति आयोग परखेगा कि उपलब्ध संसाधन कितने हैं और आने वाले समय में देश भर में कितने और माल की जरूरत होगी. उन क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान होगा जहां संसाधन कम है.
माना जा रहा है कि नीति आयोग ये योजना अगले हफ्ते तक स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपेगा.
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एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, ‘मानव संसाधन, निजि सुरक्षात्मक सामान, वेंटीलेटर, सरवेलेंस के लिए संसाधन, एंबुलेंस मुहैया कराने जैसा विस्तृत आंकलन किया जायेगा.’
इस अनेलिसिस से वित्तीय जरूरतों का आंकलन भी किया जायेगा ताकि आने वाले तीन महीनों के लिए कोविड-19 से निपटने के लिए तैयार रहे- चाहे बिमारी, हलके, कम गंभीर या अत्यधिक संक्रमण का रूप धारण कर ले.
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि, ‘पहले से ही शोध करने से भारत को इस महामारी से निपटने के लिए एक रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी. इस बीमारी ने विकसित देशों की अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं को भी ध्वस्त कर दिया है.’
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