कोलकाता: पश्चिम बंगाल के नामी गिरामी पत्रकार सुमन चट्टोपाध्याय को 64 साल के हो गए हैं. उन्हें 14 महीने पहले पोंजी घोटाले के आरोप में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी के चार महीने के भीतर चार्जशीट को दायर कर दी गई थी लेकिन मुकदमा होना अभी भी बाकी है.
फिर भी, चट्टोपाध्याय जेल में हैं और उनकी जमानत के लिए दायर की याचिकाओं को न्यायापालिका द्वारा कई स्तरों पर खारिज कर दिया गया है.
उनके परिवार ने चट्टोपाध्याय के साथ लगातार हो रहे अनाचार के खिलाफ आवाज उठाई है , रोना रोया है, यही नहीं इसी महीने की शुरुआत में परिवार वालों ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को याचिका दायर कर हस्तक्षेप की मांग भी की है.
यही नहीं चट्टोपाध्याय द्वारा जमानत याचिका पर सीबीआई द्वारा आपत्ति जताए जाने पर भी सवाल उठाया है कि वह गवाहों को वह प्रभावित कर सकते हैं और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं- यह इंगित करते हुए कि वह बेरोजगार हैं.
यहां तक कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी चट्टोपाध्याय जैसे हाई प्रोफाइल फिगर के साथ किए जा रहे व्यवहार पर अविश्वास दर्ज करते हुए इसे केंद्रीय जांच एजेंसी का ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया है.
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दिप्रिंट के संपर्क में आए वकील जिसमें चट्टोपाध्याय के भी शामिल हैं ने कहा कि जमानत दिया जाना अदालत के विशेषाधिकार में शामिल है. और सीबीआई द्वारा दावा किए जाने जिसमें यह भी कहा गया था कि यह पोंजी घोटालों में शामिल होने के आरोपी सभी संदिग्धों की जमानत का विरोध कर रहा था. सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आरोपी, राहत के लिए उच्च न्यायालय जा सकते हैं.
यहां तक कि जब उनके करीबी लोग चट्टोपाध्याय की रिहाई चाहते हैं, तो उनके ऊपर का मामला गहराता दिख रहा है. जबकि सीबीआई पहले से ही उसकी जांच कर रही है, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी कथित तौर पर उसके खिलाफ एक से अधिक मामले शुरू किए हैं.
एक शक्तिशाली आदमी
बाहर से, चट्टोपाध्याय एक पावरफुल आदमी नजर आते हैं. वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ-साथ कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व यूपीए-2 के नेताओं के भी करीबी माने जाते हैं.
इस चर्चित संपादक को सीबीआई ने 20 दिसंबर 2018 को आई-कोर कंपनी द्वारा पैसे की उगाही के आरोप लगाए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था. उस दौरान वह बंगाली दैनिक ई-समय के संपादक थे.
उनके जेल में बिताए गए समय पर त्रिणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘ हमने देखा है कि पिछले डेढ़ साल में उससे किस तरह से व्यवहार किया गया.’
नेता ने आगे कहा, ‘वह बीमार भी थे. मुख्यमंत्री ने इसके बारे में बात भी की थी. हमलोग इसके बारे में कुछ नहीं बोलेंगें क्योंकि वह इसके खिलाफ जाएगा. एजेंसी इस आधार पर उसकी जमानत का विरोध कर रही है कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति है और जांच के दौरान हेरफेर कर सकते हैं.’
चट्टोपाध्याय के खिलाफ जांच पूर्वी भारत के असम और ओडिशा में पोंजी योजनाओं को चलाने वाली कई कंपनियों के खिलाफ 2014 में बड़े घोटाले के बाद शुरू हुई है.
20 वीं सदी के इतालवी ठग चार्ल्स पोंजी के नाम से चल रही इन, योजनाओं में हाई रिटर्न का वादा करके निवेशकों को ठगना शामिल है. 2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को राज्य पुलिस से सभी मामलों की जांच करने का आदेश दिया था, और सांसदों सहित कई हाई-प्रोफाइल लोगों को बाद में आरोपी बनाया गया था.
जांचकर्ताओं का मानना है कि आई-कोर, जिसने कथित तौर पर बंगाल और ओडिशा में जमा योजनाओं के माध्यम से निवेशकों को गुमराह करके 3,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए थे, अन्य पूर्वी राज्यों में, चट्टोपाध्याय की कंपनी के माध्यम से धनराशि का लाभ उठाया.
आई- कोर व्यवसायी अनुकूल मैती द्वारा संचालित किया जाता था, जिसका खुलासा 2014 के आस-पास हुआ था. उस दौरान चट्टोपाध्याय ‘एकदिन’ नाम का समाचार पत्र चलाते थे. उनपर आरोप है कि अवैध आय को छिपाने के लिए आई-कोर को इसके बेचे जाने का दावा किया था. उन्हें पहलीबार 2014 में पूछ-ताछ के लिए बुलाया गया था.
सीबीआई के अनुसार, वह ‘बड़ी साजिश’ का हिस्सा हैं जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसियों को जांच करने का निर्देश दिया.
चट्टोपाध्याय पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है, साथ ही सीबीआई ने प्राइज़ चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (बैनिंग) अधिनियम के विभिन्न अनुभागों को भी लागू किया है. हालांकि, सीबीआई ने अपनी चार्जशीट पेश कर दी है, फिर भी आरोप तय नहीं किए गए हैं.
सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने 120 दिनों में चार्जशीट पेश की. उन्होंने आई-कोर से कई करोड़ रुपये लिए थे, यह कहते हुए कि वह अपना अखबार ‘एकदिन’ उन्हें बेच देंगे. हालांकि, कंपनी के शेयरों को कभी स्थानांतरित नहीं किया गया.’
एक अधिकारी ने कहा, ‘इसके अलावा उन्होंने एक अखबार के माध्यम से कंपनी (आई-कोर) को बढ़ावा दिया जो कि पोंजी घोटाले में शामिल थी. उसने जो पैसा लिया था वह अपराध का हिस्सा है. वह कुछ अन्य मामलों में भी शामिल है जिसका विवरण हम नहीं बता सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘उनके खिलाफ दायर चार्जशीट केवल (आई-कोर) मामलों से संबंधित है. अन्य मामलों में भी जांच जारी है.’
वर्तमान में चट्टोपाध्याय भुवनेश्वर जेल में बंद हैं. उन्होंने पहले गिरफ्तारी के तुरंत बाद जमानत के लिए आवेदन किया था. लेकिन याचिका खारिज कर दी गई. चार्जशीट दायर होने के बाद उन्होंने एक और प्रयास किया. लेकिन पिछले साल न्यायपालिका के तीन स्तरों- सीबीआई कोर्ट, सेशन कोर्ट और कटक हाईकोर्ट में इसे खारिज कर दिया गया था. अब वह एक तीसरे प्रयास में हैं.
चट्टोपाध्याय के वकील मिलन कानूनगो ने कहा कि वे ‘जमानत याचिका दायर कर चुके हैं. सीबीआई अदालत ने इसे फिर से ठुकरा दिया है. सेशन कोर्ट के बाद हम फिर से कटक उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं.
सेशन कोर्ट ने पिछले हफ्ते गुरुवार को इस मामले की सुनवाई की थी, लेकिन चट्टोपाध्याय के एक रिश्तेदार देव बाल ने शुक्रवार शाम दिप्रिंट को बताया था कि फैसला आना बाकी था.
ट्रायल में विलंब होने के बारे में पूछे जाने पर, कानूनगो ने कहा, ‘जब तक एजेंसी अपनी जांच पूरी नहीं कर लेती और आरोप तय करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाती है. तब तक सुनवाई शुरू नहीं होगी.
उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय एजेंसी ने प्रारंभिक चार्जशीट दाखिल कर दी है, लेकिन जांच शुरू करने के लिए आरोप तय करने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है.
उपरोक्त सीबीआई अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ‘जल्द ही ट्रायल के लिए आगे बढ़ेगी.’
जहां तक उनकी जमानत का सवाल है, सीबीआई इस मामले में आरोपी व्यक्तियों की ऐसी सभी जमानत याचिकाओं का विरोध कर रही है. लेकिन वे उच्च न्यायालयों को स्थानांतरित कर सकते हैं. अधिकारी ने कहा कि किसी अभियुक्त को जमानत देना न्यायिक विवेक है. हमारे हाथ में कुछ नहीं है.
हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय, जो कि मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायतों को देखता है. वो भी आई-कोर मामले में मनी ट्रेल की जांच कर रहा है और एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चट्टोपाध्याय इसके रडार पर थे. ईडी के अधिकारी ने कहा, उसके खिलाफ एक से अधिक मामले थे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमने उनके कुछ खातों और परिसंपत्तियों को संलग्न किया है. यह कुछ करोड़ों में होगा. हम अभी भी इसकी जांच कर रहे हैं.
‘वह मदद कर रहा है’
चट्टोपाध्याय के रिश्तेदार देव बाल ने 1 मार्च को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से मदद के लिए लिखा था.
उन्होंने लिखा ‘मैं यह एक ऐसी स्थिति को उजागर करने के लिए पोस्ट कर हूं जिसमें एक पत्रकार को एक साल से अधिक समय तक जमानत के बिना रखा जा रहा है. मुकदमे की सुनवाई के लिए मामला सामने नहीं आया है और पिछले एक साल से कोई पूछताछ नहीं की गई है. सुमन ने जांच दल का सहयोग किया है और सभी दस्तावेजों को प्रदान करने के लिए कहा गया है.
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मैं अंडर-ट्रायल के रूप में जमानत के अपने अधिकार के लिए अनुरोध कर रहा हूं. उन्होंने अन्य मामलों की तरह 90-120 दिनों के बजाय हिरासत में रहते हुए 400 से अधिक दिन बिताए हैं.
देव बाल ने कहा कि सीबीआई का तर्क है कि चट्टोपाध्याय प्रभावशाली थे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह नोट किया जाना चाहिए कि वह वर्तमान में कार्यरत नहीं हैं और सरकार में या किसी अन्य पद पर भी नहीं हैं और इस तरह किसी भी प्रभाव का आधार लागू नहीं होता है.
कोलकाता प्रेस क्लब में जल्द ही इस मुद्दे को उठाने की संभावना है.
कोलकाता प्रेस क्लब के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘हम सभी उसके बारे में चिंतित हैं. कोई भी मामले की योग्यता के बारे में बात नहीं कर रहा है, क्योंकि यह जांचकर्ताओं का मामला है, लेकिन जमानत सभी का अधिकार है.
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