नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर बीबीसी हिंदी 8 मार्च को ‘बीबीसी वुमन ऑफ द ईयर’ का आयोजन करा रहा है. इसके साथ ही बीबीसी ने खेलों की दुनिया से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों पर एक रिसर्च भी की है. जैसे कि देश की कितनी फीसदी महिलाएं खेलों में हिस्सा ले पाती हैं, महिलाओं को किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लोग किस तरह से महिलाओं और खेल की दुनिया को देखते हैं.
गौरतलब है कि इस रिसर्च के लिए 14 राज्यों के 10 हजार लोगों से बात की गई थी. इस बातचीत में आठ प्रमुख रोचक निष्कर्ष सामने आए. उदाहरण के लिए बीबीसी की इस रिसर्च में हिस्सा लेने वाले 15 प्रतिशत लोगों को क्रिकेट पंसद है. क्रिकेट के बाद दूसरा पसंदीदा खेल लोगों ने कबड्डी को चुना. शतरंज को 3 प्रतिशत और हॉकी को महज 2 प्रतिशत लोगों ने अपना पसंदीदा खेल चुना.
हमारे देश में पुरुषों की तुलना में क्रिकेट खेलने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है. पुरुषों के मुकाबले केवल पांच फीसदी महिलाएं ही क्रिकेट खेल पाती हैं लेकिन इसकी तुलना में कबड्डी जैसे खेल में महिला और पुरुषों की संख्या में इतना अंतर नहीं है. कबड्डी 15 फीसदी पुरुषों की तुलना में 11 फीसदी महिलाएं खेलती हैं. देश की महिला और पुरुष कबड्डी टीम, दोनों ही विश्व चैंपियन रहे चुके हैं.
ये तो थी खेल में हिस्सा लेने वाली बात लेकिन खेल को देखने वाले लोगों की बातचीत से भी रोचक तथ्य निकलकर सामने आए. महिला और पुरुष खिलाड़ियों को देखने वालों में जेंडर गैप बरकरार है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों के खेल को दोगुनी संख्या में देखा जाता है. हालांकि एक दिलचस्प बात ये भी है कि पिछले कुछ सालों में टीवी पर ब्रॉडकास्ट करने से महिलाओं का टी-20 खेल देखकर लोगों की रुचि महिलाओं के खेलों में बढ़ी है.
बीबीसी की इस रिसर्च में शामिल हुए लोगों के मुताबिक महिलाओं के खेलों की तुलना में पुरुषों के खेल ज्यादा मनोरंजक और दिलचस्प होते हैं.