रायपुर: छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने बस्तर के बैलाडीला लौह अयस्क खदान 13 की एनएमडीसी और छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम (सीएमडीसी) द्वारा स्थापित संयुक्त उपक्रम एनसीएल की माइनिंग लीज को खत्म करने का मन बना लिया है. राज्य सरकार द्वारा लीज खत्म करने से सबसे ज्यादा प्रभाव अडानी एंटरप्राइजेस लिमिटेड (एईएल) के स्पेशल पर्पस व्हीकल (एसपीवी) पर पड़ेगा जो इस लीज में मार्केटिंग एवं डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (एमडीओ) का कार्य कर रही है. अडानी को इस एसपीवी की गारंटी यस बैंक द्वारा दी गई है.
प्रदेश सरकार ने 5 मार्च 2020 को एनसीएल को भेजे एक पत्र में कहा कि लौह अयस्क खान डिपॉजिट 13 की एनएमडीसी और सीएमडीसी के संयुक्त उपक्रम एनसीएल को 4 दिसम्बर 2017 में दी गई लीज की शर्तों के अनुसार खनन का कार्य दो साल बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है.
पत्र में कहा गया है की शर्तों के अनुसार यह कार्य दो साल के अंदर चालू होना था और तीन वर्षों में करीब 30 प्रतिशत खनन का कार्य पूर्ण कर लिया जाना था लेकिन ऐसा आज की तारीख तक नहीं हो पाया है.
ऐसी स्थिति में राज्य सरकार के पत्र में कह गया है कि क्यों न इस खनन पट्टे को रद्द दिया जाए. खनन पट्टे को सीधे तौर पर खारिज करने के बजाय राज्य खनिज विभाग ने कहा है कि एनसीएल द्वारा खनन का कार्य निर्धारित समय में चालू न करना खनन रियायत नियम 2016 के उपबंंध 20(2) का उल्लंघन है और एनसीएल को दिए गए खनन पट्टा क्षेत्र व्यपगत की श्रेणी में आ गया है.
राज्य सरकार ने अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड को सीधे तौर पर तो कुछ भी नहीं कहा है लेकिन एनसीएल के कार्यपालन अधिकारी के नाम जारी इस पत्र में साफ किया है कि वे अपना पक्ष रखने के लिए सचिव राज्य खनन विभाग महानदी भवन मंत्रालय, नया रायपुर में स्वयं आकर अपना पक्ष रखें.
पत्र में एनसीएल को सरकार ने यह कहते हुए चेताया है कि ‘सचिव खनन विभाग के महानदी भवन नवा रायपुर अटल नगर के कक्ष में दिनांक 13-3-2020 को समय अपरान्ह 3 बजे सुनवाई नियत की गयी है. कृपया उपर्युक्त सुनवाई के नियत समयानुसार उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें. आपकी अनुपस्थिति में अपील आवेदन पर नियमानुसार निर्णय ले लिया जाएगा.’
सरकार ने एनसीएल पर यह आरोप भी लगाया है कि उसके समय पर खनन का कार्य चालू नहीं किये जाने पर स्थानीय उद्योगों को भी लौह अयस्क के लिए कच्चे माल की पूर्ति नहीं हो पा रही है जो लीज का एक अहम हिस्सा है.
गैरतलब है कि बैलाडीला लौह अयस्क खदान 13 के खनन का पट्टा एनसीएल को भाजपा की पूर्व डॉ. रमन सिंह की सरकार ने दिया था लेकिन एनसीएल ने 2018 में अडानी इंटरप्राइजेज को मार्केटिंग डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (एमडीओ) बनाया.
अडानी इंटरप्राइजेज ने दिलाया यस बैंक की गारंटी…
बस्तर के दंतेवाड़ा जिले में स्थित बैलाडीला फॉरेस्ट डिवीज़न के लौह अयस्क डिपॉजिट 13 में 413 हेक्टेयर पर खनन की लीज अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को मिलने के बाद एईएल ने बैलाडीला आइरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (बीआईओएमपीएल) के नाम से एक स्पेशल पर्पस व्हीकल (एसपीवी) का गठन किया. एईएल ने एनसीएल को 16 अक्टूबर 2018 को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि बीआईओएमपीएल उनके लिए एमडीओ का कार्य करेगी. इसी कड़ी में एईएल ने एनसीएल के मांगें माने जाने के बाद उसे यस बैंक के द्वारा अपनी 100 करोड़ की परफॉर्मेंस गारंटी और 39.45 करोड़ की एसपीवी गारंटी भी मुहैया कराया.
कांग्रेस का आरोप
सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने पूर्व सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आबंटित खदान के विषय में भाजपा की रमन सिंह सरकार की भूमिका और उनको अपनी वर्तमान स्थिति को स्पष्ट करना चाहिये.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने आरोप लगाया कि ‘भाजपा ने तो हमेशा आदिवासियों और बस्तर के रहने वालों को धोखा देने का काम किया. अडानी को दी गयी बैलाडीला की 13 नंबर निक्षेप में खदान ले लिए पेड़ काटने की अनुमति, दिखावटी जन सुनवाई और ग्रामसभा की गड़बड़ियों के लिये जिम्मेदार भाजपा की रमन सिंह सरकार ही रही है.’
मरकाम ने कहा है कि मोदी की केन्द्र सरकार और एनएमडीसी द्वारा अडानी को बैलाडीला की लोहा खदान देने में छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार की भूमिका और उसके द्वारा की गयी गड़बड़ियां उजागर हो गयी हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष के अनुसार जिस ग्रामसभा की कार्यवाही के आधार पर लीज देने का कार्य भाजपा सरकार ने किया था वह ग्रामसभा की कार्यवाही ही गलत पायी गयी है. उन्होंने आरोप लागू कि भाजपा की सरकार ने सत्ता से बेदखल होने के ठीक पहले हडबड़ी में लीज की कार्यवाही की थी.