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Tuesday, 5 November, 2024
होमदेशअर्थजगतयस बैंक पर आरबीआई ने लगाई लगाम, ग्राहकों को 50,000 रु. तक निकासी की अनुमति के बाद मची अफरा-तफरी

यस बैंक पर आरबीआई ने लगाई लगाम, ग्राहकों को 50,000 रु. तक निकासी की अनुमति के बाद मची अफरा-तफरी

एसबीआई बोर्ड ने शेयर बाजारों को सूचित किया, ‘येस बैंक से संबंधित मामले पर गुरुवार को बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में चर्चा की गई और बोर्ड ने बैंक में निवेश अवसर तलाशने के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है.’

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मुंबई: नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक पर रोक लगाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है. इसके अलावा बैंक के जमाकर्ताओं के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की है. बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति की गई है.

रिजर्व बैंक ने सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए यह कदम उठाया है. यस बैंक पर पैसा निकासी पर लगाई गई पाबंदी के बाद जमाकर्ताओं में अफरा-तफरी मच गई. बैंक एटीएम के बाहर धन निकालने के लिए लंबी लाइन लग गई और उन्हें मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा. परेशानी तब और बढ़ गई जब ग्राहक/जमाकर्ता बैंक के एटीएम पहुंचे तो उन्हें मशीने बंद पड़ी मिलीं तो कहीं एटीएम से पैसे ही नहीं निकले. यही नहीं यस बैंक के ग्राहकों ने तब खुद को मुसीबत में पाया जब इंटरनेट बैंकिंग प्रणाली द्वारा धन स्थानांतरण भी नहीं हो रहा था.

एसबीआई ने रखा हाथ

नकदी से जूझ रहे यस बैंक को एसबीआई बोर्ड ने अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के केंद्रीय बोर्ड ने गुरुवार देर शाम को एक बैठक में इसपर चर्चा की. एसबीआई बोर्ड ने शेयर बाजारों को सूचित किया, ‘यस बैंक से संबंधित मामले पर गुरुवार को बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में चर्चा की गई और बोर्ड ने बैंक में निवेश अवसर तलाशने के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है.’

यह घोषणा तब की गई जब इससे कुछ घंटे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने यस बैंक पर पाबंदियां लगा दीं और एक महीने के लिए जमाकर्ताओं के वास्ते निकासी सीमा 50 हजार रुपये तय कर दी तथा इसके बोर्ड को भंग कर दिया.

खबरों के अनुसार सरकार ने एसबीआई और एलआईसी दोनों से यस बैंक में सामूहिक रूप से 49 प्रतिशत शेयर हासिल करने को कहा है. रिजर्व बैंक ने यस बैंक के निदेशक मंडल को भी भंग कर दिया है. निदेशक मंडल पिछले छह माह से बैंक के लिए जरूरी पूंजी जुटाने में विफल रहा. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है.

रिजर्व बैंक ने देर शाम जारी बयान में कहा, ‘केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है.’

इसने साथ में यस बैंक के जमाकर्ताओं को यह आश्वासन भी दिया कि उनके हितों की पूरी तरह रक्षा की जाएगी और उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

बयान में कहा गया है कि बैंक के प्रबंधन ने इस बात का संकेत दिया था कि वह विभिन्न निवेशकों से बात कर रहा है और इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है. बैंक कई निजी इक्विटी कंपनियों के साथ भी पूंजी निवेश के लिए बात कर रहा था.

बयान में कहा गया है कि इन निवेशकों ने रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी विचार विमर्श किया, लेकिन विभिन्न वजहों से उन्होंने बैंक में कोई पूंजी नहीं डाली.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि नियामकीय पुनर्गठन के बजाय एक बैंक या बाजार आधारित पुनरोद्धार अधिक बेहतर विकल्प होता इसलिए रिजर्व बैंक ने इस तरह की प्रक्रिया के लिए पूरे प्रयास किए. बैंक के प्रबंधन को एक विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना तैयार करने के लिए पूरा अवसर दिया गया, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ सकी.

केंद्रीय बैंक ने अपने इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा कि इन घटनाक्रमों के बीच बैंक से लगातार पूंजी निकलती रही.

इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को यस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी.

यदि इस योजना का क्रियान्वयन होता है तो कई वर्षों में यह पहला मौका होगा जबकि निजी क्षेत्र के किसी बैंक को जनता के धन के जरिये संकट से उबारा गया. इससे पहले 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स में विलय किया गया था. 2006 में आईडीबीआई बैंक ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का अधिग्रहण किया था.

इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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