नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी से बैंकों में लेन देन पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगी रोक हटा दी है. आरबीआई ने साल 2018 में एक सर्कुलर जारी कर क्रिप्टोकरेंसी से लेन-देन पर रोक लगाई थी. जिसके बाद इससे रोक हटाने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच जिसमें जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम इस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘हमने रिट याचिकाओं को अनुमति दे दी है.’
Supreme Court allows the petitions challenging the Reserve Bank of India (RBI) 2018 circular that barred banks from trading in cryptocurrencies. pic.twitter.com/uflSzQTl9G
— ANI (@ANI) March 4, 2020
तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आरबीआई के 2018 के सर्कुलर को चुनौती देने वाली इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएनएआई) की याचिका को मंजूरी दे दी है जिसमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सेवाएं मुहैया करने पर रोक लगाई गई थी.
28 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आईएएमआई के सदस्यों ने 2018 के आरबीआई के सर्कुलर के बाद शीर्ष अदालत का रुख किया था.
आरबीआई ने 6 अप्रैल 2018 को जारी अपने सर्कुलर में कहा था कि वो किसी भा वर्चुअल करेंसी में लेन-देन नहीं करेगा. आरबीआई के परिपत्र के अनुसार केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं पर आभासी मुद्राओं से संबंधित कोई भी सेवा प्रदान करने पर रोक है.
क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल मुद्राएं हैं, जिनमें मुद्रा इकाइयों के बनाने और फंड के लेनदेन का सत्यापन करने के लिए एन्क्रिप्शन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है और यह व्यवस्था केंद्रीय बैंक से स्वतंत्र रहकर काम करती है. ये डिजिटल लेन-देन के लिए उपयोग होता है. क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है. बिटक्वाइन विश्व की सबसे बहुचर्चित क्रिप्टोकरेंसी है. साल 2018 के अंत में बिटक्वाइन का मूल्य काफी बढ़ गया था. अभी तक बिटक्वाइन बनाने वाले का पता नहीं चल पाया है.
विश्व के कई देशों में क्रिप्टोकरेंसी से लेन-देन की प्रक्रिया चलती है और इसे वैध माना गया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्विटर पर तेज़ी से बिटक्वाइन ट्रेंड कर रहा है.