नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं. मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात चले सियासी घटनाक्रम में भी कांग्रेस पार्टी में चल रही गुटबाजी दिखने को मिली. इस पूरे उठापटक के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दूरी बनाए रखी और कहीं नजर नहीं आए तो वहीं सूबे के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह बेहद एक्टिव रहे और वो कमलनाथ सरकार के संकटमोचक बनकर उभरे.
विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर सिंधिया का बयान सामने आया कि मुझे विधायकों की खरीद फरोख्त के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
दिग्विजय सिंह ने मंगलवार सुबह ही प्रदेश के भाजपा नेतृत्व पर विधायकों के खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था. उन्होंने ट्वीट किया था, ‘भाजपा के पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह बसपा की विधायक रमाबाई को अपने निजी विमान से दिल्ली ले गए है.’
उन्होंने दावा किया था कि भाजपा कांग्रेस के विधायकों को 25 से 35 करोड़ रुपए तक का ऑफर दे रही हैं. भाजपा खुलेआम ऑफर दे रहे हैं कि 5 करोड़ अभी ले लो दूसरी किश्त राज्यसभा चुनाव में और तीसरी सरकार गिराने के बाद दी जाएगी.
दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद भाजपा ने आरोप लगाते हुए कहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा से जाने से रोकने के लिए यह बयान दे रहे है.भाजपा ने दावा किया था कि सीएम कमलनाथ सिंधिया को राज्यसभा भेजना चाहते हैं. जबकि सिंह ऐसा नहीं चाहते इसलिए वह इस तरह के आरोप लगाकर हड़कंप मचा रहे हैं.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर है खींचतान
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर मंथन चल रहा है. लेकिन आंतरिक कलह के चलते एक साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अध्यक्ष पद पर फैसला नहीं हो पाया है. सिंधिया समर्थक चाहते है कि प्रदेश की कमान उनके हाथ में हो. वहीं दिग्विजय सिंह का गुट यह चाहता है कि कोई ऐसा व्यक्ति इस पद पर काबिज हो जो उनके करीब हो.
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मध्य प्रदेश कांग्रेस संगठन के एक विश्वस्त सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘मध्य प्रदेश की राजनीति में कई ध्रुव काम कर रहे हैं. पार्टी राज्य में एक ऐसे चेहरे की तलाश में है जो सभी को स्वीकार्य हो. इसलिए इसे तय करने में हाईकमान को समय लग रहा है.’
सूत्र ने यह भी कहा, ‘पार्टी का यह भी मनना है कि राज्य में 15 वर्ष के वनवास के बाद सत्ता हासिल हुई है. अगर प्रदेश अध्यक्ष के मामले में सभी गुटों को नहीं साधा गया तो और उठापटक होगी जिससे पार्टी संकट में आ जाएगी.आज वही स्थिति देखने को मिल रही है.’
सूत्र के मुताबिक,’ पार्टी में किसी भी प्रकार से कोई फूट न पड़े इसलिए प्रदेश अध्यक्ष बनाने में भी देरी हो रही है. हाईकमान चाहता है कि जो भी प्रदेश अध्यक्ष बने वह सरकार के किसी भी प्रकार के कामकाज में दखलंदाजी न करे. सिंधिया भी प्रदेश अध्यक्ष के प्रबल दावेदार हैं लेकिन यह निर्णय पार्टी हाईकमान से होना है.’
राज्यसभा की सीट ने बढ़ाई कांग्रेस की चिंता
अप्रैल माह में प्रदेश की राज्यसभा सीटों से कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह,भाजपा नेता सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. जल्द ही इन तीनों सीटों के लिए चुनाव होंगे. अंक गणित के हिसाब से दो सीटों कांग्रेस के पास जाएगी वही भाजपा को एक पर ही संतोष करना पड़ेगा.
मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं. 2 विधायकों के निधन होने से वर्तमान में 228 सदस्य हैं. कांग्रेस के पास 115 विधायक हैं. वहीं 3 निर्दलीय विधायक, 2 बीएसपी और 1 एसपी विधायक का भी समर्थन कांग्रेस पार्टी को मिला हुआ है. वहीं बीजेपी के पास 107 विधायक हैं.
ऐसे में कमलनाथ अपनी सरकार के बचाने के लिए सिंधिया और दिग्विजय सिंह को राज्यसभा भेज कर कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म कर सकते है.