कोलकाता: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में शांति निकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली बांग्लादेश की एक छात्रा को कथित सरकार-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में देश छोड़ने का निर्देश दिया है.
इससे पहले आईआईटी, मद्रास में पढ़ने वाले एक जर्मन छात्र को भी इसी आरोप में देश छोड़ कर जाने को कहा गया था.
शांति निकेतन विश्वविद्यालय के कला भवन में पहले वर्ष की छात्रा अफसारा अनिका मीम ने हाल में विश्वविद्यालय परिसर में सीएए विरोधी प्रदर्शन की तस्वीरें अपने फोसबुक पेज पर पोस्ट की थीं. उसके बाद ही दक्षिणपंथी विचाराधारा के कुछ लोग उसे ट्रोल करने लगे थे. उनसे डर कर उस छात्रा ने अपना फेसबुक अकाउंट ही बंद कर दिया था. लेकिन अब उसे गृह मंत्रालय के क्षेत्रीय विदेशी पंजीकरण कार्यालय से जारी एक नोटिस में पंद्रह दिनों के भीतर देश छोड़ने को कहा गया है. नोटिस पर हालांकि 14 फरवरी की तारीख है. लेकिन इसे छात्रा को बुधवार यानी 26 फरवरी को दिया गया.
जारी नोटिस में कहा गया है, ‘बांग्लादेशी पासपोर्ट धारक अफसारा अनिका मीम छात्र वीजा पर शांति निकेतन विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही है. लेकिन वह सरकार-विरोधी गतिविधियों में शामिल पाई गई है. यह वीजा नियमों का उल्लंघन है.’
नोटिस में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि वह किस तरह की गतिविधियों में शामिल रही.
अफसारा के एक मित्र का कहना है कि उसने किसी रैली में हिस्सा नहीं लिया था. लेकिन फेसबुक पर विरोध-प्रदर्शन की तस्वीरें पोस्ट करने के बाद ढाई सौ से ज्यादा लोगों ने उसके खिलाफ टिप्पणी की थी. उन्होंने अफसारा को बांग्लादेश वापस भेजने की भी मांग की थी.
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अफसारा अब इस नोटिस के बाद सकते में है. बुधवार को नोटिस मिलने के बाद उसने पत्रकारों से कहा था, ‘मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मेरी गलती क्या है. मैंने महज उत्सुकतावश कुछ तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट की थीं. मेरे कई मित्रों ने सीएए के विरोध में होने वाले प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. लेकिन एक खास विचारधारा के समर्थकों की ओर से ट्रोल होने के बाद मैंने अपना फेसबुक अकाउंट ही बंद कर दिया था.’ उसका कहना था कि वह कलाकार बनने का सपना लेकर पढ़ने के लिए विश्वभारती में आई थी. अब पता नहीं भविष्य क्या होगा.
अनिका ने अपने कुछ मित्रों के साथ गुरुवार को कोलकाता में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय में अधिकारियों से मुलाकात की और नोटिस पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया. लेकिन उसने इस मुद्दे पर मीडिया से बात करने से इंकार कर दिया.
दूसरी ओर, विश्वभारती प्रबंधन ने इसे केंद्र का मामला बताते हुए इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है. इस बीच, विश्वभारती के एक शिक्षक ने इसे एक कठोर कदम और असंतोष की आवाज दबाने का प्रयास करार दिया है. विश्वविद्यालय के शिक्षकों के एक गुट का कहना है कि जरूर किसी ने विदेश मंत्रालय से अफसारा के खिलाफ शिकायत की होगी. उसे इस मामले में अपनी सफाई पेश करने तक का मौका नहीं दिया गया.
कोलकाता में बांग्लादेश के उप-उच्चायोग में एक अधिकारी ने बताया कि उनको इस बात की जानकारी थी कि अनिका के मामले की जांच की जा रही है. लेकिन ऐसे मामलों में उप-उच्चायोग कोई खास सहायता नहीं कर सकता.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)