सीएम अरविंद केजरीवाल की दिल्ली साम्प्रदायिक हिंसा से निपटने को लेकर बुरा ना कहने की रणनीति, जिसमें 24 लोग मारे गए हैं, पाखंड है. उनका दिल्ली पुलिस की सराहना करना, इन दंगों में एक मूकदर्शक बने रहना, और जिम्मेदार लोगों का नाम लेने से बचना उनमें नेतृत्व मजबूत नेतृत्व की कमी को दिखाता है. एक मुख्यमंत्री को कदम उठाने चाहिए ना कि उपदेश देना चाहिए.
दिल्ली में दंगों पर अंकुश लगाने के लिए डोभाल की एंट्री- पुलिस को रोकना और शाह पर कड़ा बयान शर्मनाक हालात को दिखाता है
पूर्वोत्तर दिल्ली में शांति स्थापित करने के लिए एनएसए अजीत डोभाल की पैराड्रॉपिंग दिल्ली पुलिस के लिए शर्मिंदगी की बात है. अपनी गृहमंत्री की जिम्मेदारी में पहले बड़े लॉ एंड आर्डर के संकट से निपट रहे गृहमंत्री अमित शाह की अनुभवहीनता पर कड़ा सवाल भी. शाह और उनकी पुलिस राष्ट्रीय राजधानी में विफल रहे.