नई दिल्ली: चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर बृहस्पतिवार को गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा पर आपत्ति जताई और कहा कि उनकी यात्रा बीजिंग की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है और आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार करती है. चीन ने कहा कि वह उनकी यात्रा का ‘दृढ़ता से विरोध’ करता है.
शाह राज्य के 34वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अरुणाचल प्रदेश में हैं. इस दौरान वह उद्योग और सड़कों से जुड़ी अनेक परियोजनाओं का शुभारंभ भी किया.
इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘अगस्त में जब अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला लिया गया, तो नार्थ ईस्ट में भी अफवाहें और ग़लतफहमी फैलाई गई कि 370 के साथ ही 371 को भी हटा देंगे. मैं आज समग्र नार्थ ईस्ट को बताना चाहता हूं कि अनुच्छेद 371 को कोई हटा नहीं सकता और न ही हटाने की किसी की मंशा है.
Union Home Minister Amit Shah in Arunachal Pradesh on its 34th Statehood Day: Before 2014, North East was connected to India only geographically and through administration, but with Narendra Modiji as Prime Minister, North East is now connected with our heart and soul. pic.twitter.com/Ao8KFMQgSF
— ANI (@ANI) February 20, 2020
दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानते हुए उस पर अपना दावा करता है और भारत के किसी भी नेता की इस पूर्वोत्तर राज्य की यात्रा पर आपत्ति जताता है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने एक प्रश्न के उत्तर में ऑनलाइन मीडिया से कहा ,‘चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से के बारे में या चीन के तिब्बत क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से के बारे में चीन की राय बिल्कुल स्पष्ट और अपरिवर्तित है.’
उन्होंने कहा, ‘चीन की सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी और वह चीन के तिब्बती क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से में भारतीय नेता की यात्रा का विरोध करता है क्योंकि इसने चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन किया है, सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिरता को कमतर किया है, आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार किया है और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है.’
प्रवक्ता ने कहा, ‘चीनी पक्ष भारतीय पक्ष से सीमा के मुद्दे को और जटिल बनाने वाली ऐसी किसी प्रकार की कार्रवाई को रोकने और सीमाई क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए ठोस कार्रवाई करने की अपील करता है.’
गौरतलब है कि 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा तक भारत-चीन सीमा विवाद है.
चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के हल के लिए विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत के 22 दौर हो चुके हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)