बंगलुरू: कंबाला खेल का खिलाड़ी श्रीनिवास गौड़ा सोशल मीडिया पर इन दिनों स्टॉर बने हुए हैं लेकिन ओलंपिक चैंपियन उसैन बोल्ट से उनकी तुलना किए जाने पर वो सहज नहीं हैं. गौड़ा के लिए भैंसे उतनी ही अहमियत रखती है जितने कि वो खुद.
कर्नाटक के तटीय इलाके में होने वाले पारंपरिक भैंसों के दौड़ में भाग लेने वाले और शांत स्वाभाव वाले मज़दूर गौड़ा ने कहा कि ‘मैं उतना ही अच्छा हूं जितनी कि मेरे साथ दौड़ में शामिल हुई भैंस है.’
गौड़ा की प्रतिक्रिया तब आई जब शनिवार को मंगलुरू में हुए कंबाला दौड़ की उनकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. उन्होंने 142.5 मीटर की कंबाला दौड़ 13.62 सेकेंड्स में पूरी की जिसे 100 मीटर की दौड़ 9.55 सेकेंड्स से जोड़ा जा रहा है जो कि 100 मीटर दौड़ के उसैन बोल्ट के विश्व रिकॉर्ड से तेज़ है.
खेल मंत्री किरण रिजिजू ने तुरंत ही गौड़ा को बंगलुरू के स्पार्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एसएआई) में ट्राइल देने के लिए ऑफर किया. कई और नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी.
Faster Than Usain Bolt? Karnataka Man Running With Buffaloes Covers 100 Metres in Just 9.55 Seconds. I urge the Athletics Association of India to take this man under their wing & make an Olympic champion of him. Wonder how many hidden talents we have! https://t.co/G7jPE2zIng
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) February 15, 2020
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने तीन लाख रूपए के इनाम से उन्हें सम्मानित किया.
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सभी ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया कि भैंसा दौड़ ओलंपिक मुकाबले से बिल्कुल अलग है.
हालांकि गौड़ा शांत बने हुए हैं और उन्होंने ट्राइल ऑफर के लिए मना कर दिया.
गौड़ा ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैंने कभी भी ट्रैक पर अभ्यास नहीं किया है. मैं सिर्फ कंबाला के लिए दौड़ा हूं. मैं मिट्टी से भरे धान के मैदान में दौड़ा हूं जिसमें मुझे भैंसों को नियंत्रित करना होता है. लेकिन उसैन बोल्ट स्पाइक वाले जूतों का इस्तेमाल करते हैं.’
गौड़ा ने अभी तक स्पोर्ट्स सेंटर में ट्रैनिंग लेने के लिए मन नहीं बनाया है. उन्होंने कहा कि वो अपने मेंटॉर से बात करके इस पर फैसला लेंगे.
उन्होंने कहा, ‘मुझे काफी अभ्यास की जरूरत है और ट्रैक पर दौड़ने के लिए एथलेटिक ट्रैनिंग चाहिए. मैं हमेशा मिट्टी भरे धान के खेतों में दौड़ा हूं. दोनों बिल्कुल ही अलग खेल है.’
‘बोल्ट से उसकी तुलना मत करो’
इस खेल का नाम कर्नाटक के तटीय इलाके में बोली जाने वाली भाषा टुलू के अनुसार दलदली कीचड़ भरे धान के खेत में खेले जाने वाले खेल से है.
क्षेत्रीय खेल में पारंपरिक तौर पर दो भैंसे होती हैं जिसके साथ एक धावक होता है जिसे उस गति के अनुसार भागना होता है. यह कार्यक्रम नवंबर से मार्च के बीच हर साल होता है.
इंस्टीट्यूट के संस्थापक सचिव प्रोफेसर गुणापाला कदम्बा के अनुसार श्रीनिवास गौड़ा मंगलुरू कंबाला अकेडमी के पहले बैच के छात्र हैं जिसमें सिखाया जाता है कि कैसे जानवर को चोट नहीं पहुंचाना है.
गौड़ा के मैंटॉर कदम्बा उन्हें मुख्यमंत्री से इनाम दिलाने के लिए बंगलुरू लेकर आए थे. हालांकि वो उसैन बोल्ट से तुलना होने को प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं.
कदम्बा ने कहा, ‘उसैन बोल्ट और गौड़ा की तुलना करना ठीक नहीं है. इस पर मेरा मत अलग है. बोल्ट का विश्व रिकॉर्ड पूरी तरह से कंबाला से अलग है. आपको ट्रैक से तुलना करनी पड़ेगी. दोनों खेलों पर बात करना बिल्कुल अलग है.’
ट्रैनिंग का प्रश्न
श्रीनिवास गौड़ा ने साफ किया कि फिलहाल वो एसएआई ट्राइल में शामिल नहीं होंगे.
कदम्बा के अनुसार ये गौड़ा के पहले के कमिटमेंट्स पर आधारित है.
कदम्बा ने कहा, ‘उसे पुराने कमिटमेंट्स के बाद ही वो इन ट्राइल्स पर सोचेगा. कोई रास्ता नहीं है कि वो उन कमिटमेंट्स को तोड़े. ये धावक और भैंसों के मालिकों से जुड़ा मसला है.’
पिछले महीने गौड़ा ने 12 कंबाला दौड़ कार्यक्रम में भाग लिया जिनमें उन्होंने 35 रेस जीती. इनाम की राशि भैंसों के मालिकों के पास जाती है और इसके बदले धावक को कुछ मिल जाता है. लेकिन गौड़ा की कंबाला के इस सीजन में बढती लोकप्रियता के बाद सूत्रों का कहना है कि वो कहीं भी 4-5 लाख रुपए कमा सकता है.
कदम्बा ने कहा, ‘हमारी मंशा है कि जब वो ट्रैक पर जाए या ओलंपिक में जाए तो वो वहां भी स्वर्ण पदक जीते.’
एसएआई के दक्षिणी केंद्र के वरिष्ठ निदेशक अजय कुमार बहल ने दिप्रिट से कहा, ‘एसएआई उन्हें ट्रैन करने और उनका स्वागत करने के लिए तैयार है. हम उनका समर्थन करने के लिए तैयार हैं. चाहे वो ट्रैनिंग के लिहाज से हो, बायोमैकिनिक्स हो ताकि मेडल जीतना सुनिश्चित हो सके.’
बहल ने कहा, ‘वो काफी प्रतिभाशाली हैं लेकिन हमें अलग से उसका टेस्ट लेने की जरूरत है. वो अभी तक केवल नंगे पैर दौड़ा है. उसे जूतों के साथ दौड़ने के लिए ट्रैन करना होगा जिसमें स्पाइक भी लगे होते हैं. हमारे पास सुविधा है, उसके पास प्रतिभा है, देखते हैं कि वो राज़ी होते हैं कि नहीं. उसके बाद हम उन्हें समर्थन देंगे.’
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