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Friday, 22 November, 2024
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दिल्ली के सत्ता गलियारे के पुनर्विकास पर आएगा 20,000 करोड़ का खर्च, अभी तक धन का आवंटन नहीं

पुनर्विकास योजना में नई संसद, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के नए आवास तथा सरकारी कार्यालयों के 10 नए परिसरों का निर्माण शामिल है.

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नई दिल्ली: सेंट्रल विस्टा का पुनर्विकास दिल्ली स्थित सत्ता के गलियारे को नया रूप देने की नरेंद्र मोदी सरकार की योजना के सर्वाधिक महत्वाकांक्षी घटकों में से एक है, जिस पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है.

दिप्रिंट को प्राप्त जानकारी के अनुसार इस पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत त्रिकोणीय आकार की नई संसद, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के नए आवास तथा शास्त्री भवन, निर्माण भवन, उद्योग भवन, कृषि भवन और वायु भवन जैसे सरकारी परिसरों को समायोजित करने के लिए 10 नए कार्यालय परिसरों का निर्माण किया जाएगा.

इन सरकारी परिसरों में वर्तमान में शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, कृषि और वाणिज्य मंत्रालयों तथा वायुसेना के कार्यालय आदि स्थित हैं.


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एक सरकारी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि चूंकि इस परियोजना के तहत सरकारी कार्यालयों का निर्माण किया जाना है, इसलिए करीब 20,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत को केवल बजटीय आवंटनों से पूरा करने की ज़रूरत होगी.

परियोजना को लेकर पिछले वर्ष ही घोषणा हो चुकने के बावजूद 2020-21 के बजट में इस मद में धन का आवंटन नहीं किया गया.

परियोजना की जिम्मेदारी संभाल रहा शहरी आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय इस बात पर विचार मंथन कर रहा है कि आवश्यक राशि कैसे जुटाई जाए.

सरकारी सूत्र ने इस बारे में बताया, ‘पूरक बजट में थोड़ा आवंटन किया जा सकता है, क्योंकि परियोजना पर काम अगस्त महीने में ही शुरू हो रहा है.’

एक अन्य सरकारी सूत्र के अनुसार इस विचार पर भी चर्चा हो रही है कि विभिन्न मंत्रालयों से उनके नए कार्यालयों के निर्माण पर आने वाली लागत की उनके खुद के बजट से भरपाई करने को कहा जाए.

इस सरकारी सूत्र ने कहा, ‘मंत्रालयों/विभागों के पास कार्यालय भवनों के पुनर्निर्माण के लिए बजट का अपना अलग मद होता है. वे इस मद में आगामी परियोजना के लिए धन का आवंटन करा सकते हैं.’

हालांकि सरकार के ही एक वर्ग का मानना है कि यह प्रक्रिया दुष्कर और समयसाध्य साबित हो सकती है, और इसलिए इसके बजाय वित्त मंत्रालय को ही चरणबद्ध तरीके से कुल लागत राशि को मंजूरी देनी चाहिए.

एक तीसरे सरकारी स्रोत ने कहा, ‘वित्त मंत्रालय को मौजूदा घटनाक्रम का पता है और इस बारे में जल्दी ही फैसला किया जाएगा. परियोजना बहुत सख्त समय-सीमा में पूरी की जानी है. नए संसद भवन का निर्माण कार्य 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि अन्य सरकारी इमारतों के लिए 2024 का लक्ष्य है. धन के आवंटन में देरी का असर इन समय-सीमाओं पर पड़ सकता है.’

आवास मंत्रालय इस समय परियोजना पर मंत्रिमंडल की मंज़ूरी लेने के लिए दस्तावेज तैयार करने में जुटा हुआ है.

नई संसद का काम अगस्त में शुरू होगा

सरकारी सूत्रों ने कहा कि आवास मंत्रालय इस परियोजना के लिए निर्माण से पहले का काम शुरू भी कर चुका है. ऊपर वर्णित दूसरे सरकारी सूत्र ने कहा, ‘मंत्रालय पर्यावरण, अग्नि सुरक्षा आदि से संबंधित स्वीकृतियों के लिए आवेदन की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर चुका है.’

परियोजना को केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएग, जो कि आवास मंत्रालय की निर्माण शाखा के रूप में काम करता है.

गत अक्टूबर परियोजना के डिजाइन के लिए आमंत्रित निविदाओं में से गुजरात स्थित वास्तुकार बिमल पटेल की कंपनी एचसीपी डिजाइंस की बोली अव्वल पाई गई थी.

सर्वप्रथम खाली पड़े या न्यूनतम व्यवधान पैदा करने वाले स्थलों पर निर्माण कार्य में हाथ लगाया जाएगा. उदाहरण के लिए, त्रिकोणीय आकार का नया संसद भवन मौजूदा संसद के सामने की खाली जगह में बनाया जाना है.

प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार हर्बर्ट बेकर द्वारा 1931 में डिजाइन किए गए वर्तमान संसद भवन, जो कि एक विख्यात ऐतिहासिक धरोहर है, को नए निर्माण से अछूता रखा जाएगा.

इसी तरह नॉर्थ और साउथ ब्लॉक नामक दो अन्य ऐतिहासिक इमारतों को भी ध्वस्त नहीं किया जाएगा जिनमें कि वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय तथा विदेश, रक्षा, गृह और वित्त मंत्रालय स्थित हैं. मौजूदा कार्यालयों को नए भवनों में स्थानांतरित किए जाने के बाद इन दोनों इमारतों को दो संग्रहालयों में बदल दिया जाएगा– एक में 1857 से पहले के और दूसरे में 1857 के बाद के भारत से जुड़े इतिहास को प्रदर्शित किया जाएगा.

प्रधानमंत्री का नया आवास राष्ट्रपति भवन के दक्षिणी सिरे पर निर्मित किया जाएगा.


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आईजीएनसीए परिसर की जगह चार सरकारी भवन

मौजूदा सरकारी कार्यालय परिसरों में से सर्वप्रथम शास्त्री भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन और उद्योग भवन को हटाया जाएगा.

ऊपर वर्णित प्रथम सरकारी सूत्र ने बताया कि इन चारों भवनों को मान सिंह रोड पर उस जगह पर ले जाया जाएगा, जहां कि इस समय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) स्थित है.

सरकारी सूत्र ने कहा, ‘भूमि का ये बड़ा-सा टुकड़ा आमतौर पर खाली पड़ा है. चार कार्यालय परिसरों के निर्माण में बहुत कम समय लगेगा. नई इमारतों का निर्माण पूरा होते ही पुराने भवनों को ध्वस्त कर दिया जाएगा ताकि उनकी जगह नए भवन बन सकें.’

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की स्मृति में स्थापित आईजीएनसीए को अस्थाई रूप से जनपथ होटल में ले जाया जाएगा.

आईटीडीसी संचालित होटल व्यवसाय से सरकार के हाथ खींचने के बाद से ही होटल की इमारत उपयोग में नहीं है.

आईजीएनसीए को बाद में जामनगर हाउस की जगह बनाए जाने वाली इमारत में स्थाई रूप से स्थानांतरित किया जाएगा.

सभी प्रस्तावित नए सरकारी भवनों की ऊंचाई इंडिया गेट से कम रखी जाएगी. ये सारी इमारतें भूमिगत मेट्रो रेल से परस्पर जुड़ी होंगी.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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