नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास से महज दो साल में 8 राज्य हाथ से निकल गए है. 2019 के आखिरी में झारखंड में मिली हार के बाद अब भाजपा को 2020 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी हार का मुंह देखना पड़ा है. देश की राजधानी दिल्ली समेत अब भारतीय जनता पार्टी के विरोधी दलों की 12 राज्यों में सरकारे हैं. वहीं एनडीए 16 राज्यों में काबिज़ है.
दिसंबर 2017 में भाजपा और अन्य सहयोगी दलों के पास 19 राज्य थे. 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भाजपा के हाथ से निकल गए. इन राज्यों में कांग्रेस ने बहुमत से अपनी सरकार बनाने में कामयाब रहीं. वही जम्मू कश्मीर में भी भाजपा ने अपनी सत्ता गंवाई.
इसके अलावा आंध्र प्रदेश में तेलगू देशम पार्टी और भाजपा के गठबंधन की सरकार थी. लेकिन 2018 में तेदेपा ने भाजपा ने नाता तोड़ लिया. 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार बनाई.
2019 में महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हो सका. हरियाणा में पार्टी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई लेकिन महाराष्ट्र में शिवसेना ने एनडीए का साथ छोड़ दिया. इसके बाद राज्य में कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई.
2019 में झारखंड भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. यहां जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर राज्य में सरकार बनाई. कांग्रेस खुद के दम पर पंजाब, पुडुचेरी में भी काबिज है.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने लगातार अपनी तीसरी बार जीत दर्ज की है. आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस, ओडिशा में बीजू जनता दल, तेलगांना में टीआरएस, केरल में माकपा, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस काबिज है.
तमिलनाडु में एआईएडीमके सत्ता में है लेकिन भाजपा यहां सत्ता में भागीदार नहीं है. क्योंकि राज्य में पार्टी का एक भी विधायक नहीं है.
2014 के आम चुनाव में भाजपा मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई थी. तब भाजपा के पास महज सात राज्य थे. वहीं कांग्रेस के पास 13 सूबों में सरकारें थी. इसके बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कई राज्यों में जीत हासिल की. 2018 में एनडीए की 21 राज्यों में सरकार थी लेकिन अब भाजपा का ग्राफ तेजी से गिर रहा है. अब एनडीए के पास केवल इतने 16 ही राज्य बचे हैं.