नयी दिल्ली: दूध, मांस और मछली समेत शीघ्र खराब होने वाले उत्पादों के लिए भारतीय रेलवे पीपीपी के माध्यम से किसान रेल चलाएगी यही नहीं रेलवे एक्सप्रेस और ढुलाई ट्रेनों में भी रेफ्रीजेरेटेड डिब्बे लगाएगी.’ बता दें कि इसके लिए बहुत तेजी से निजी कंपनियां शीघ्र ही ट्रेनें चलाएंगी. निजी कंपनियों में भारतीय कंपनी ‘टाटा’, आल्स्टम ट्रांसपोर्ट, बॉम्बर्डियर, सीमैंस एजी और मैक्वायर जैसी वैश्विक कंपनियों समेत दो दर्जन से अधिक कंपनियों ने इस प्रस्ताव में रूचि दिखायी है.
यह जानकारी रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने दी है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि निजी कंपनियां शीघ्र ही ट्रेनें चलाएंगी.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को पेश केंद्रीय बजट 2020-21 में रेलवे को 70,000 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता आवंटित की गयी है तथा विस्तार योजना को जारी रखते हुए वित्त वर्ष के दौरान रेलवे के लिए कुल 1.61 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का प्रावधान किया गया है.
यह भी पढ़ें: प्राइवेट ट्रेनों का रास्ता हुआ साफ, बजट में कृषि रेल और उड़ान योजना के जरिए किसानों की आय बढ़ाने पर जोर
रेलवे के पूंजीगत खर्च का प्रावधान चालू वित्त वर्ष की तुलना में मात्र तीन फीसदी अधिक है.
निजी ट्रेनें, पर्यटन स्थलों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी, रेल नेटवर्क में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल, जल्द खराब हाने वाले कृषि उपज के लिए परिवहन जैसी सुविधाओं का प्रस्ताव कर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को 2020-21 के बजट में रेलवे के लिए एक ब्लूप्रिंट पेश किया.
वर्ष 2019-20 में, बजटीय समर्थन संशोधित कर 69,967 करोड़ रूपये किया गया था. वित्तवर्ष 2019-20 में पूंजीगत व्यय के लिए 1.56 लाख रुपये निर्धारित किए गए थे जो 2018-19 के मुकाबले 17.2 प्रतिशत अधिक था.
अपने बजट भाषण में सीतारमण ने कहा कि भारतीय रेलवे निजी सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) के माध्यम से किसान रेल शुरू करेगी जिसमें जल्द खराब हो जाने वाली कृषि उपज के लिए रेफ्रीजेरेटेड डिब्बे होंगे.
उन्होंने कहा, ‘दूध, मांस और मछली समेत शीघ्र खराब होने वाले उत्पादों के लिए निर्बाध राष्ट्रीय शीत प्रशीतित श्रृंखला के निर्माण के लिए भारतीय रेलवे पीपीपी के माध्यम से किसान रेल चलाएगी . एक्सप्रेस और ढुलाई ट्रेनों में भी रेफ्रीजेरेटेड डिब्बे होंगे.’
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने उम्मीद जतायी कि निजी कंपनियां शीघ्र ही ट्रेनें चलाएंगी.
उन्होंने कहा कि आल्स्टम ट्रांसपोर्ट, बॉम्बर्डियर, सीमैंस एजी और मैक्वायर जैसी वैश्विक कंपनियों समेत दो दर्जन से अधिक कंपनियों ने इस प्रस्ताव में रूचि दिखायी है.
उन्होंने कहा, ‘ टाटा उन कंपनियों में शामिल है जिन्होंने निजी ट्रेंने चलाने में रूचि दिखायी है.’
पुनरीक्षित बजट अनुमान 2019-2020 के मुकाबले बजट अनुमान 2020-21 में यात्री किरायों, माल भाड़े, अन्य तरीकों और रेलवे भर्ती बोर्ड की आय में कुल मिला कर 9.5 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य तय किया गया है.
बजट 2020-21 में 12,000 करोड़ रुपये नयी लाइनों को बिछाने के लिए, 2,250 करोड़ रुपये अमान परिवर्तन के लिए, 700 करोड़ दोहरीकरण, 5,786.97 करोड़ रुपये रेल के डिब्बे एवं इंजन और 1,650 करोड़ रुपये सिग्नल और दूरसंचार के लिए आवंटित किए गए हैं.
यह भी पढ़ें: तेजस एक्सप्रेस की तरह चलाई जाएंगी नई ट्रेनें, पीपीपी मॉडल से विकसित होंगे रेलवे स्टेशन
इस वर्ष रेल यात्रियों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 2,725.63 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है.
बजट में 1,26.5 करोड़ टन माल ढुलाई का लक्ष्य रखा गया है जो चालू वित्त वर्ष के पुनरीक्षित बजट अनुमान से 4.2 करोड़ टन (3.4 प्रतिशत) अधिक है.
आने वाले वित्त वर्ष में यात्री किराया से 61,000 करोड़ रुपये और माल ढुलाई से 1,47,000 से राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है.
इस प्रकार परिचालन से रेलवे की कुल आय 2,25,613 करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो पुनरीक्षित अनुमान 2019-20 से 9.6 प्रतिशत अधिक है.
रेलवे का परिचालन अनुपात बजट अनुमान 2019-20 में 95 फीसदी रखा गया था जिसे पुनरीक्षित अनुमान 2019-20 में 97.46 प्रतिशत किया गया था. अर्थात रेलेवे की कमाई का अनुमान से अपेक्षाकृत ज्यादा हिस्सा उसके अपने परिचालन पर खर्च हो जाता है
वर्ष 2020-21 में रेलवे के परिचालन अनुपात 96.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
बजट में रेल पटरियों के किनारे स्थित रेलवे की खाली जमीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने और चार स्टेशन को पुन:विकसित करने एवं 150 ट्रेनों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर चलाने का प्रस्ताव किया गया है.
बजट में प्रमुख पर्यटक स्थलों को जोड़ने के लिए तेजस की तरह और रेलगाड़ियां चलाने का प्रस्ताव किया गया है.
वित्तमंत्री ने 18,600 करोड़ रुपये की लागत से 148 किलोमीटर लंबे बेंगलुरु उपनगरीय परिवहन परियोजना का प्रस्ताव किया जो मेट्रो मॉडल पर विकसित किया जाएगा. परियोजना के लिए केंद्र सरकार 20 प्रतिशत राशि देगा और 60 फीसदी तक की बाहरी सहायता की सुविधा देगा.
उन्होंने कहा कि जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों के लिए राष्ट्रीय शीत आपूर्ति श्रृंखला के विकास की योजना के तहत निजी सरकारी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल में किसान रेल बनाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार का चुनिंदा मेल एक्सप्रेस और मालगाड़ियों के जरिये जल्द खराब होने वाले सामान की ढुलाई के लिये रेफ्रिजरेटेड पार्सल वैन का भी प्रस्ताव है.
हालांकि, रेलवे का बड़ा भार राजस्व व्यय है. अनुमान है कि आगामी वित्त वर्ष में केवल इसी मद पर रेलवे को 92,993.07 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. यह इस साल से 6,000 करोड़ रुपये अधिक होगा.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)