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Wednesday, 20 November, 2024
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कोरोनावायरस: चीन से लौटे सभी 324 भारतीय लोगों के टेस्ट का आया नतीजा

सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) और एयरपोर्ट हेल्थ अथॉरिटी (एपीएचओ) की एक संयुक्त टीम के अलावा आईटीबीपी और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने वुहान से आए लोगों की स्क्रीनिंग की.

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नयी दिल्ली: जिन 324 भारतीय नागरिकों को चीन के कोरोनावायरस प्रभावित शहर वुहान से लााया गया है, उनके टेस्ट का नतीजा आ गया है. एयर इंडिया के विमान से शनिवार सुबह वापस लाए गए इन सभी लोगों के पहले राउंड के टेस्ट का नतीजा निगेटिव आया है.

हालांकि, महिलाओं और बच्चों सहित वहां से लौटे लोगों को सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) द्वारा स्थापित दो विशेष संगरोध केंद्रों पर रखा जाएगा. सरकार सूत्रों ने दिप्रिंट से कहा कि यहां उनकी निगरानी जारी रहेगी.

एयर इंडिया के पायलट और क्रू मेंबर्स की भी जांच की गई, जिसमें उन्हें किसी वायरस से संक्रमित नहीं पाया गया. सूत्रों ने कहा कि यहां से निकलकर ये लोग राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपने होटलों में चले गए.

सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) और एयरपोर्ट हेल्थ अथॉरिटी (एपीएचओ) की एक संयुक्त टीम के अलावा आईटीबीपी और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने वुहान से आए लोगों की स्क्रीनिंग की.

घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने दिप्रिंट से कहा, ‘कुल 220 यात्रियों को दिल्ली के पास मानेसर में सेना की संगरोध सुविधा में ले जाया गया है, जबकि 104 को राष्ट्रीय राजधानी में आईटीबीपी द्वारा स्थापित एक को भेजा गया है.’

शनिवार को एएनआई के हवाले से ख़बर आई थी कि चीनी अधिकारियों ने वुहान में छह भारतीयों को रवाना करने से पहले उतार दिया, क्योंकि उन्होंने स्क्रीनिंग के दौरान उनके शरीर का तापमान ज़्यादा पाया.

वुहान से भारतीयों को इसलिए निकाला गया क्योंकि ये चीनी शहर कोरोनवायरस (एन-कोव) से प्रभावित लोगों के केंद्र बन गया है. इससे होने वाली बीमारी की वजह का पता नहीं चल पाया है. अब तक इस महामारी से जुड़े लगभग 12,000 मामले सामने आए हैं. इससे अब तक 20 मौतें हुई हैं साथ ही ये अब तक 20 से अधिक देशों में फैल चुका है. इनमें से सबसे ज्यादा मामले चीन में सामने आए हैं.


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संगरोध प्रक्रिया

चीन से वापस लाए गए भारतीयों को दो हफ्ते तक निगरानी में रखा जाएगा. इसके बाद जो भारतीय बच गए हैं उन्हें भी वहां से वापस लाए जाने के बाद निगरानी में रखा जाएगा.

वापस लाए जा रहे यात्रियों को पहले एयरपोर्ट पर स्क्रीन किया जाएगा और फिर मानेसर में छोड़ दिया जाएगा. यदि किसी व्यक्ति के संक्रमित होने का संदेह होता है, तो उसे बेस अस्पताल दिल्ली छावनी (बीएचडीसी) के आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा.

सेना द्वारा बनाई गई इस जगह में रहने के लिए बैरक, प्रशासनिक क्षेत्र और चिकित्सा सुविधा क्षेत्र शामिल हैं.

वायरस को बड़े पैमाने पर फैलने से रोकने के लिए इस जगह को सेक्टरों में बांटा गया है. हर सेक्टर में ज़्यादा से ज़्यादा 50 लोग रह सकते हैं. हर सेक्टर को बैरकों में बांटा गया है. सेना के अधिकारियों ने कहा कि सेक्टरों की आबादी को एक-दूसरे के साथ मिलने-जुलने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

मेडिकल फैसिलिटी एरिया में यहां मौजूद लोगों की हर रोज़ जांच की जाएगी. यहां मौजूद स्टाफ़, हेल्थ केयर वर्कर और हाउसकीपिंग स्टाफ़ को उनके पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विप्मेंट (पीपीई) पहनने को कहा गया है. पीपीई में मास्क, आंखों की शील्ड, जूते के कवर, गाउन और ग्लवस शामिल हैं. इन लोगों को हर समय ये पहने रहना है.

यहां आने वाले बाकी के लोगों को एक तीन सतह का मास्क लगातार पहने रहना होगा.

यहां मौजूद वुहान से लाए गए भारतीयों में अगर बीमारी से जुड़े किसी तरह के लक्षण नहीं पाए जाते तो उन्हें 14 दिनों के बाद घर जाने की अनुमति दे दी जाएगी. उनके विस्तृत दस्तावेज को आगे की निगरानी के लिए जिला/राज्य निगरानी इकाइयों को भेजा जाएगा.

जिन्हें बीमार पाया जाएगा उनको आगे के मेडिकल टेस्ट और रिकवरी के लिए बीएपडीसी के आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया जाएगा.

वायरल की पुष्टि के लिए नमूने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, दिल्ली भेजे जाएंगे और मरीजों को क्लिनिकल रिकवरी और एन-कोव के लिए लगातार दो निगेटिव सैंपल की जांच के बाद ही छुट्टी दी जाएगी.

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