एअर इंडिया के लिये बोली लगाने के नियमों में बदलाव, 3,500 करोड़ की नेटवर्थ वाले लगा सकेंगे बोली
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस एक अच्छी परिसंपत्ति है. साथ ही उन्होंने कहा कि एअर इंडिया की सफल बोली लगाने वाला एयर इंडिया का ब्रांड नाम उपयोग कर सकेगा.
नयी दिल्ली: एअर इंडिया के विनिवेश को अधिक आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने इस बार बोलियां लगाने के नियम 2018 की तुलना में आसान बनाए हैं. अब 3,500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ वाले समूह भी कंपनी के लिये बोली लगा सकेंगी. वहीं किसी समूह में उसके अलग अलग भागीदारों की न्यूनतम हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तय कर दी गई है.
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस एक अच्छी परिसंपत्ति है. साथ ही उन्होंने कहा कि एअर इंडिया की सफल बोली लगाने वाला एयर इंडिया का ब्रांड नाम उपयोग कर सकेगा.
पुरी ने यह भी कहा कि अभी जो प्रोसेस अपनाया जा रहा है वह 2018 के प्रोसेस से काफी अलग है. इस बार हम अपनी एप्रोच को लेकर काफी साफ हैं कि हमें क्या करना है. वहीं हरदीप पुरी ने कहा एयर इंडिया की नई रूप-रेखा गृह मंत्री की देख-रेख में बनाई गई है.
पुरी ने यह भी साफ किया कि प्रस्तावित लेनदेन के समापन से पहले एरियर के साथ कर्मचारियों का बकाया एयर इंडिया की एसेट्स होल्डिंग कंपनी द्वारा भुगतान किया जाएगा.
Civil Aviation Minister Hardeep Singh Puri: Employees dues with arrears will be paid by the Air India assets holding company before the closing of the proposed transaction. pic.twitter.com/bRr1pVGO65
वर्ष 2018 में जब सरकार ने एअर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की निविदा जारी की थी, तब किसी संभावित खरीदार की नेटवर्थ 5,000 करोड़ रुपये और बोली लगाने वाले समूह में शामिल भागीदारों की न्यूनतम हिस्सेदारी 26 प्रतिशत रखी गयी थी.
सरकार ने कर्ज बोझ से दबी एअर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए प्राथमिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) सोमवार को जारी कर दिया गया. सरकार ने इच्छुक पक्षों से 17 मार्च तक आरंभिक बोलियों के रुचि पत्र मंगाए हैं. एअर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के तहत एयरलाइन की सस्ती विमानन सेवा ‘एअर इंडिया एक्सप्रेस’ में भी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी.
पीआईएम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि कोई कंपनी अपनी ‘मातृ कंपनी की ताकत’ के आधार पर भी बोली लगा सकती है. पहले इसका प्रावधान नहीं था.
एअर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया के तहत कोई समूह भी बोली लगा सकता है. समूह में हर प्रतिभागी की हिस्सेदारी कम से कम 10 प्रतिशत और कुल 3500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ के 10 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए.
समूह का नेतृत्व करने वाले सदस्य की हिस्सेदारी भी कम से कम 26 प्रतिशत होनी चाहिए.
व्यक्तिगत निवेशक समूह का हिस्सा बनकर निवेश कर सकते हैं.
इसके अलावा यदि कोई घरेलू विमानन कंपनी बोली लगाती है तो वह बिना नेटवर्थ के 51 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रख सकती है. जबकि सहयोगी कंपनी को 3,500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ की योग्यता पूरी करनी होगी.
इससे पहले वर्ष 2018 में सरकार ने एअर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री और प्रबंधकीय नियंत्रण निजी क्षेत्र को सौंपने की निविदा जारी की थी.
नयी दिल्ली: एअर इंडिया के विनिवेश को अधिक आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने इस बार बोलियां लगाने के नियम 2018 की तुलना में आसान बनाए हैं. अब 3,500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ वाले समूह भी कंपनी के लिये बोली लगा सकेंगी. वहीं किसी समूह में उसके अलग अलग भागीदारों की न्यूनतम हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तय कर दी गई है.
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस एक अच्छी परिसंपत्ति है. साथ ही उन्होंने कहा कि एअर इंडिया की सफल बोली लगाने वाला एयर इंडिया का ब्रांड नाम उपयोग कर सकेगा.
पुरी ने यह भी कहा कि अभी जो प्रोसेस अपनाया जा रहा है वह 2018 के प्रोसेस से काफी अलग है. इस बार हम अपनी एप्रोच को लेकर काफी साफ हैं कि हमें क्या करना है. वहीं हरदीप पुरी ने कहा एयर इंडिया की नई रूप-रेखा गृह मंत्री की देख-रेख में बनाई गई है.
पुरी ने यह भी साफ किया कि प्रस्तावित लेनदेन के समापन से पहले एरियर के साथ कर्मचारियों का बकाया एयर इंडिया की एसेट्स होल्डिंग कंपनी द्वारा भुगतान किया जाएगा.
वर्ष 2018 में जब सरकार ने एअर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की निविदा जारी की थी, तब किसी संभावित खरीदार की नेटवर्थ 5,000 करोड़ रुपये और बोली लगाने वाले समूह में शामिल भागीदारों की न्यूनतम हिस्सेदारी 26 प्रतिशत रखी गयी थी.
सरकार ने कर्ज बोझ से दबी एअर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए प्राथमिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) सोमवार को जारी कर दिया गया. सरकार ने इच्छुक पक्षों से 17 मार्च तक आरंभिक बोलियों के रुचि पत्र मंगाए हैं. एअर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के तहत एयरलाइन की सस्ती विमानन सेवा ‘एअर इंडिया एक्सप्रेस’ में भी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी.
पीआईएम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि कोई कंपनी अपनी ‘मातृ कंपनी की ताकत’ के आधार पर भी बोली लगा सकती है. पहले इसका प्रावधान नहीं था.
एअर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया के तहत कोई समूह भी बोली लगा सकता है. समूह में हर प्रतिभागी की हिस्सेदारी कम से कम 10 प्रतिशत और कुल 3500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ के 10 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए.
समूह का नेतृत्व करने वाले सदस्य की हिस्सेदारी भी कम से कम 26 प्रतिशत होनी चाहिए.
व्यक्तिगत निवेशक समूह का हिस्सा बनकर निवेश कर सकते हैं.
इसके अलावा यदि कोई घरेलू विमानन कंपनी बोली लगाती है तो वह बिना नेटवर्थ के 51 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रख सकती है. जबकि सहयोगी कंपनी को 3,500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ की योग्यता पूरी करनी होगी.
इससे पहले वर्ष 2018 में सरकार ने एअर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री और प्रबंधकीय नियंत्रण निजी क्षेत्र को सौंपने की निविदा जारी की थी.