गोरखपुर: गोरखपुर में इन दिनों स्वच्छता सम्बन्धी सर्वेक्षण कर रहे नगर निगमकर्मियों को अजीब मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. लोग एनआरसी के डर में उन्हें प्रतिक्रिया देने से हिचक रहे हैं.
गोरखपुर नगर निगम (जीएमसी) स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 के तहत शहर को बेहतर रैंकिंग दिलाने के लिये आजकल सर्वे का काम करा रहा है. मगर उसे एक नयी चुनौती से रूबरू होना पड़ रहा है.
सर्वे के काम में लगे कम्प्यूटर ऑपरेटर धीरज ने बताया कि सर्वे के दौरान लोग अपना नाम और मोबाइल नम्बर तो दे रहे हैं लेकिन जब उनसे उनके फोन पर आने वाला वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मांगा जाता है तो वे मना कर देते हैं. उनमें से कई लोग यह भी कहते हैं कि हम एनआरसी और एनपीआर के लिये जानकारी मांग रहे हैं.
एक अन्य कर्मी अजय श्रीवास्तव ने बताया कि गोरखपुर महोत्सव में तैनात कुछ पीएसी कर्मी भी ओटीपी बताने को राजी नहीं हुए थे, मगर जब उन्हें बताया गया कि उनके जवाब से शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में अच्छी रैंकिंग मिलेगी और केन्द्र सरकार नगर के विकास के लिये अधिक धन भी देगी, तब वे मान गये.
खासकर, शहर के पुराने इलाकों में सर्वे के दौरान ज्यादा समस्याएं पेश आ रही हैं.
इस बीच, अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा ने बताया कि लोग एनआरसी और एनपीआर के डर से अपनी प्रतिक्रिया देने से डर रहे हैं, मगर जब उन्हें इसके फायदे बताये जाते हैं तो वे तैयार हो जाते हैं. सर्वे कर रहे सभी कर्मियों को पहचान—पत्र दिये गये हैं ताकि उन्हें दिक्कत न हो.
उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान लोगों से कचरा प्रबन्धन, सफाईकर्मियों की सक्रियता, ठोस अपशिष्ट के प्रबन्धन और कूड़ेदान की व्यवस्था इत्यादि से जुड़े नौ सवाल पूछे जाते हैं.
बहरहाल, जीएमसी ने 4 से 31 जनवरी तक दो लाख लोगों से फीडबैक लेने का लक्ष्य रखा था, मगर इस डर और हिचक की वजह से अब तक सिर्फ 35 हजार लोगों ने ही सर्वे के लिये अपनी प्रतिक्रिया दी है.
सर्वे के लिये कुल 30 कर्मचारियों को तैनात किया गया है. हर कर्मी को रोजाना 100 फीडबैक का लक्ष्य दिया गया है लेकिन औसतन सिर्फ 40 लोग ही प्रतिक्रिया दे रहे हैं.