छत्तीसगढ़ : विगत 15 सालों से गुर्दे के रहस्मयी बीमारी से हो रही मौतों का कारण जानने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने अब गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा गांव के आदिवासियों की अनुवांशिकी परीक्षण कराएगी. प्रदेश सरकार सुपेबेड़ा में गुर्दे के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के एक दल को आंध्रप्रदेश के श्रीकुलम भेजेगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और किडनी रोग विशेषज्ञों के साथ सुपेबेड़ा के ग्रामीणों को निरंतर निगल रही रहस्यमयी बीमारी से संबंधित एक विशेष बैठक के बाद कहा कि गांव में गुर्दे के सभी मरीजों की जेनेटिक जांच (अनुवांशिकी परीक्षण) कराया जाएगा.
बैठक में मौजूद स्वास्थ्य विभाग की सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह और दिल्ली के प्रसिद्ध किडनी रोग विशेषज्ञों डॉक्टर विजय खेर और डॉक्टर विवेकानंद झा ने मुलाकात बैठक में मुख्यमंत्री को उनके द्वारा सुपेबेड़ा में किए गए इलाज के दौरान पाए जाने वाले साक्ष्यों के विषय में पूरी जानकारी दी.
विशेषज्ञों के द्वारा दी गयी जानकारी के बाद मुख्यमंत्री ने बैठक में उनके साथ सुपेबेड़ा के किडनी रोग प्रभावित लोगों के इलाज और बचाव के उपायों के संबंध में विचार-विमर्श किया. दोनों विशेषज्ञों ने मंगलवार को बघेल के साथ बैठक से पहले अपने सुपेबेड़ा प्रवास में किडनी पीड़ितों की जांच की और इलाज किया.
किडनी विशेषज्ञों के साथ बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि आन्ध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम में भी सुपेबेड़ा जैसे हालात हैं. बैठक के पश्चात मुख्यमंत्री ने विचार-विमर्श के दौरान ही सुपेबेड़ा के किडनी प्रभावितों की जेनेटिक जांच कराने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने सुपेबेड़ा में किडनी प्रभावितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के दल को अध्ययन के लिए श्रीकुलम भेजने के निर्देश भी दिए और कहा की श्रीकुलम में भी सुपेबेड़ा जैसे ही हालात हैं.
ज्ञात हो की सुपेबेड़ा छत्तीसगढ़ में एक ऐसा गांव है. जहां किडनी की रहस्यमयी बीमारी से अब तक करीब 70 से भी अधिक ग्रामीणों की मौत हो चुकी है. मृत ग्रामीणों में क्रेटनिन और यूरिक एसिड की मात्रा अधिक पायी गयी थी, लेकिन बीमारी के असल कारण की जानकारी आज भी नहीं हो पायी है.