नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की शीर्ष दवा निर्माता कंपनियो को मार्केटिंग की नैतिकता का सख्ती से अनुपालन करने की चेतावनी दी है, दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार उन्होंनें इन कंपनियों से डॉक्टरों को रिश्वत के रूप मे महिलाओं, विदेशी यात्राओं और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे रिश्वत का प्रलोभन देने से बाज आने की हिदायत दी है.
विश्वस्त सरकारी सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने यह बात 2 जनवरी को नई दिल्ली में जायडास कैडिला, टॉरेंट फार्मासूटिकल्स और वॉकहार्ट सहित कई शीर्ष दवा निर्माताओं के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात के दौरान कहीं.
सरकार के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मार्केटिंग स्ट्रेटेजी (विपणन रणनीति) के तहत अनैतिक व्यहारों संबंधित मुद्दा अब बढ़ते – बढ़ते प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंच गया है, जिसने इसका संज्ञान लिया और कुछ शीर्ष दवा निर्माताओं को कॉल कर के उनकी पीएम के साथ बैठक तय की.’
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‘प्रधानमंत्री ने दवा निर्माताओं से स्पष्ट रूप से कहा है कि विपणन की नैतिक प्रथाओं का अनुपालन ना किया जाना, सरकार को एक सख्त कानून बनाने के लिए मजबूर कर रहा है. उन्होंने इस बारे में एक वैधानिक प्रावधान (स्टॅचुटरी प्रोविजन) लाने के बारे में चेतावनी दी और यह संकेत भी दिया कि रसायन और उर्वरक मंत्रालय को इस पर काम करना शुरू करने के लिए कह दिया गया है.
सूत्रों ने बताया कि इस बैठक मे जाइडस कैडिला के पंकज पटेल, टोरेंट के सुधीर मेहता और वॉकहार्ट के हैबिल खोराकवाला जैसे शीर्ष अधिकारियों के अलावा अपोलो हॉस्पिटल्स के उच्चस्थ पदाधिकारी भी उपस्थित थे.
इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने के समय तक हमारे द्वारा पटेल, मेहता, वॉकहार्ट और अपोलो हॉस्पिटल्स को भेजे गए कई सारे ईमेल और टेक्स्ट संदेशों का कोई जवाब नहीं मिला था, इस खबर के सन्दर्भ में अधिकारिक टिप्पणी के लिए दिप्रिंट ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पी. एम. ओ.) तक भी कई कॉल और टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन हमें वहां से भी कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है.
वह रिपोर्ट जिसके चलते यह सब हो रहा है
यह सारी कवायद एक एनजीओ – सपोर्ट फॉर एडवोकेसी एंड ट्रेनिंग टू हेल्थ (साथी) – द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद की जा रही है. इस रिपोर्ट में यह बताया गया था कि इन कंपनियों द्वारा नियुक्त चिकित्सा प्रतिनिधि (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स अथवा एमआर) – जो डॉक्टरों के साथ सीधे अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार हेतु संपर्क करते हैं – अक्सर उन्हें विदेशी यात्राओं, महंगे स्मार्टफोन और यहां तक कि महिलाओं के साथ संबंध बनाने जैसे रिश्वत और प्रलोभन देते हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई बार ये एमआर कारों की खरीद, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भागीदारी, ऑनलाइन शॉपिंग वाउचर और यहां तक कि डॉक्टरों द्वारा महिलाओं से सबंध बनाने से जुड़े खर्चों का भी भुगतान करते हैं.
इस रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि विगत में मार्केटिंग की जिस नैतिकता और मूल्यों का पालन किया जा रहा था, वे दरकिनार हो रहे हैं और अक्सर व्यवसाय प्राप्ती की होड़ में किसी भी प्रकार के कोड का पालन नहीं किया जाता है.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि कुछ डॉक्टर, जो काफ़ी अधिक बिजनेस देते हैं, अपने निजी मनोरंजन के लिए महिलाओं की मांग करते हैं और इन मांगों को पूरा भी किया जाता है.
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इस तरह की व्यवस्था आम तौर पर कंपनियों के वरिष्ठ स्तर के प्रबंधन द्वारा की जाती है और एमआर (मेडिकल रिप्रजेंटेटिव) इस में सीधे रूप से शामिल नहीं होते हैं. यह “सुविधा” केवल उन्हीं डॉक्टरों के लिए आरक्षित होती है जो बहुत बड़ा व्यवसाय प्रदान करते हैं.
इसी अध्ययन में यह भी पाया गया कि ‘कई बार उच्च मूल्य वाले कई सौदों में, जैसे कि कार की खरीद पर दी जा रही किस्त, यदि टारगेटेड बिजनेस (लक्षित व्यवसाय) नहीं हो पा रहा है तो कंपनियों की तरफ से डाक्टरों को गंभीर परिणामों की धमकी भी दी जाती है ‘
वॉलंटरी कोड ऑफ एथिक्स (स्वैच्छिक नैतिक संहिता)
साथी की रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत कार्यरत भारत में दवा नीतियों से संबंधित शीर्ष संस्था डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स ने स्वैच्छिक अनुपालन में भारी कमी के लिए फार्मा क्षेत्र की दिग्गज कपनियों की खिंचाई की.
23 दिसंबर को, डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स के सचिव पी.डी. वाघेला ने दवा निर्माता कंपनियों के तीन प्रमुख संघों – इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन , इंडियन फ़ार्मास्युटिकल अलायंस और ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ फ़ार्मास्युटिकल प्रोड्यूसर्स ऑफ़ इंडिया के साथ एक समीक्षा बैठक भी की. वाघेला ने यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल्स मार्केटिंग प्रैक्टिसेज (यूसीपीएमपी) का अनुपालन नहीं करने के लिए उनके प्रति नाराज़गी व्यक्त की.
हालांकि, 2014 में जारी की गयी यूसीपीएमपी दवा कंपनियों और चिकित्सा उपकरणों से जुड़े उद्योग के लिए मार्केटिंग व्यवहारों से संबंधित एक स्वैच्छिक कोड अथवा संहिता है. यह फार्मा कंपनियों को स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं (हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स) तक सैंपल प्रोडक्ट्स (नमूना उत्पाद) मुफ़्त मे पहुंचाने से रोकती है. कोड यह बताता है कि किसी भी एक डॉक्टर को दिया गया नमूना (सैंपल) पैक तीन रोगियों के लिए निर्धारित खुराक तक हीं सीमित होना चाहिए.
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साथ-ही-साथ यह कोड यह भी कहता है कि किसी भी दवा कंपनी या उसके किसी भी एजेंट, वितरक, थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता आदि के द्वारा उन दवाओं को अनुमोदित (prescribe) करने योग्य व्यक्तियों को किसी भी प्रकार का उपहार, विशेष व्यवहार अथवा वास्तु लाभ नहीं दिए जा सकते हैं.
यह कोड न केवल स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं अपितु उनके परिजनों पर भी लागू होता है. इसमें यह भी लिखा गया है कि ‘कंपनियां या उनके सहायक संगठन देश के अंदर अथवा बाहर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और उनके परिवार के सदस्यों के लिए छुट्टी मनाने या प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए किसी भी तरह के रेल, हवाई, जहाज, क्रूज टिकट, पहले से भुगतान की गयी यात्राएं सहित किसी भी तरह की यात्रा सुविधा प्रदान नहीं करेंगे.
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