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Sunday, 24 November, 2024
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नागरिकता कानून का फायदा उठाकर भारत आने वाले दलितों की हालत बदतर ही होगी

कभी दलितों को ढाल बनाकर के मुसलमानों और मुसलमानो को ढाल बनाकर दलितों पर हमला अब बहुत दिनों तक नहीं चलने वाला.

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नागरिकता संशोधन कानून एवं नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजनशिप बिल पास करते समय भाजपा कि ममता बार-बार छलक पड़ी और अभी भी पूरे बहस के दौरान देखने को मिल जायेगी. जब संविधान में संशोधन करके यह कानून पास किया गया तो सबसे बड़ी दलील यह दी गयी कि इससे दलितों का सर्वाधिक भला होने वाला है. पाकिस्तान और बंगलादेश में बहुतायत आबादी दलितों की ही है और इस कानून के पास हो जाने के बाद भारत में उनको कानूनी रूप से प्रवेश कि इजाज़त होगी जो इनके लिए स्वर्ग होगा. यह बात भी सही है कि डॉ. आम्बेडकर का मत भी यही था कि दलित पाकिस्तान से भारत में आ जाएं. वरना उनको तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

पाकिस्तान में लगभग 30 लाख हिन्दू हैं जिसमें 80 से 85 प्रतिशत दलित समाज के लोग हैं कुल मिलकर 42 जातियों के लोग वहां हिन्दू धर्म को मानने वाले हैं. उनमें भी मुख्य जातियां-भील, मेघवाल, कोली और बाल्मीकि आदि हैं. वहां के जमींदारों ने देश के बंटवारे के वक़्त इन्हें भरसक रोकने कि कोशिश कि थी ताकि उनके खेतों-खलिहानों में काम करने वाले लोग मिलते रहें. मुख्य रूप से दलित सिंध प्रान्त में ही रहते हैं और उनकी हालत बहुत ही दयनीय है और इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. बांग्लादेश में भी कुल मिलाकर कमोवेश यही स्थिति है.

वहां पर लगभग डेढ़ करोड़ हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग हैं जिनमें आधे दलित जाति के लोग हैं. बांग्लादेश से ज्यादातर पलायन शूद्रों का ही रहा जिन्हें जगह जगह पर बसाया गया है. इनकी स्थिति बहुत दयनीय है. अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र न होने से आरक्षण के लाभ से प्रायः वंचित रहते हैं. एक तरफ तो निजीकरण के रास्ते देश से आरक्षण लगभग समाप्ति पर है, जब देश के लोग ही आरक्षण से वंचित हो रहे हैं तो बाहर से आये दलितों को ये क्या देंगे? दशकों से संघर्षरत होते हुए भी अब तक इनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है. डॉ आम्बेडकर ने यह भी आशंका व्यक्त की थी कि अगर दलित बांग्लादेश/पाकिस्तान में रह गए तो उनकी स्थिति और भी दयनीय हो जायेगी.


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भारतीय जनता पार्टी और संघ का प्रेम दलितों के लिए बार बार झलकता है. जब धारा 370 हटाने का बिल संसद में पास हो रहा था तब दलितों को ही ढाल बनाया गया कि इसके हटने से दलितों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा. धारा 370 पास होने के बाद जिन कानूनों और अधिकारों को जम्मू और कश्मीर को देना था, नहीं दिया गया और उसके खिलाफ वहां के दलितों की प्रतिक्रिया भी देखने को मिली. मान लिया जाय, बांग्लादेश और पाकिस्तान के दलित नागरिकता संशोधन कानून का लाभ उठाते हुए भारत में आ भी जाएं तो उनकी स्थिति बद से बदतर ही होगी. धार्मिक आधार पर उनका शोषण बांग्लादेश और पाकिस्तान में तो है लेकिन भारत में आकर के कुछ और शोषण के श्रोत बढ़ जायेंगे. जैसे छुआछूत और आवासीय व्यवस्था आदि.

भाजपा और संघ ऐसा संगठन है जो सफ़ेद को काला और काले को सफ़ेद कहने में हिचकते नहीं हैं. कभी मुसलमानों को छुआछूत के लिए जिम्मेदार ठहराकर लोभ, लालच और तलवार कि नोक पर धर्मांतरण कराते हैं. जब जब छुआछूत के बड़े मामले आते हैं तो ये भी कहने में नहीं चूकते कि हिन्दू धर्म में छूआछूत का कारण मुग़ल रहे हैं. यह झूठ कितना सफ़ेद है यह समझना मुश्किल नहीं है. इनके हिसाब से तो गौतम बुद्ध , गुरु नानक, कबीर आदि तो पैदा ही नहीं हुए. इन महापुरुषों को हम जानते ही इसलिए हैं कि इन्होंने जात-पात और छूआछूत के खिलाफ संघर्ष किया.

ये झूठ बोलने के इतने बड़े उस्ताद हैं कि दुनिया में इसकी दूसरी मिसाल नहीं हो सकती है. मान लिया जाय कि मुगलों ने जात-पात और छूआछूत कि शुरुआत की जो कतई सच नहीं है तो इनके शास्त्र, उपनिषद और पुराण आदि धार्मिक पुस्तकों में क्या वर्णित हैं? अगर मुसलमान जिम्मेदार हैं तो इनकी धार्मिक पुस्तकें झूठी हैं और उन्हें जला देना चाहिए. दूसरा भी विकल्प इन्हें देते हैं कि जात-पात हिन्दू धर्म कि व्यावस्था नहीं है तो संघ के मुख्य संचालकों में आज तक कोई दलित क्यों नही हैं? शंकराचार्यों और पुजारियो में दलित और पिछड़े क्यों नहीं हैं? अगर ये मानते हैं कि दलित-पिछड़े भी हिन्दू हैं तो दलितों को भी उद्योगपति, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में जज, मीडिया हाउस के सम्पादक, जमींदार, उद्योगपति आदि होना चाहिए था.

अंतरजातीय शादी क्यों लोकप्रिय नहीं हो पायी है. एक डोम, चमार, दुसाध, महार, जाटव की शादी ब्राह्मण, ठाकुर, भूमिहार, राजपूत से क्यों नहीं हो पाती है. भाजपा के संगठन में 65 प्रतिशत बनिया, ब्राह्मण और क्षत्रिय कि भागीदारी है, अगर मुगलों ने जाति का सृजन किया होता तो तस्वीर कुछ और होती. मुसलमानों को जवाब देने का इससे अच्छा कोई तरीका हो ही नहीं सकता कि देश का प्रधानमंत्री और संघ के सरसंघसंचालक बारी बारी से पिछड़े और दलितों को बनाते. तो अब क्या मान लेना चाहिए कि मुगलों के आदेश पर देश में ब्राह्मणवाद जिन्दा है.

नागरिकता संशोधन कानून बनाकर दलितों पर हमला करने कि दिशा में एक मजबूत चक्रव्यूह बना लिया है. एक तीर से कई निशाने साधने कि कोशिश की जा रही है. एक तरफ बाबा साहब के संविधान पर हमला तो दूसरी तरफ हिन्दू –मुस्लमान के टकराव कि भूमिका बनाकर उसका राजनितिक लाभ लेने कि इनकी कोशिश साफ़ परिलक्षित हो रही है.


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7 दिसंबर 1949 में दिल्ली के रामलीला मैदान में संघ समर्थित संगठनों ने डॉ आम्बेडकर का पुतला और संविधान जलाया था. सावरकर और गोलवलकर दोनों का यह मानना था कि संविधान में भारतीयता नज़र नहीं आती है. वो मनुस्मृति में थोड़ा बहुत सुधार करके उसको ही भारत का संविधान बनाना चाहते थे. महिलाओं के उद्धार के लिए जब डॉ आम्बेडकर ने संसद में पेश किया तो संघ और इनके कट्टरपंथी साथियों ने पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया. डॉ आम्बेडकर कहते थे कि हिन्दू धर्म धर्म नही बल्कि एक राजनितिक साजिश है, जिससे बहुजनों पर सवर्णों का राज रहे. कभी दलितों को ढाल बनाकर मुसलमानों पर हमला और मुसलमानों को ढाल बनाकर दलितों पर हमला, ये अब बहुत दिनों तक नहीं चलने वाला है.

(लेखक पूर्व लोकसभा सदस्य एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं)

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3 टिप्पणी

  1. Mr. Udit
    Till the time people like you will not stop taking advantage of quota, how other dalits can take advantage of it.You are creamy layer brahmin among dalit and it is your progeny which pre empt the whole quota.

  2. Mr, every heard of term community, marriages etc is based on families and other factors . Many xian and My groups don’t marry with each other frequently. Same case here, if one subgroup marries in itself, or with other subgroup, it is none of your business. That doesn’t mean discrimination. Discrimination when one consider itself better than other, continuing your identity is not discrimination.

  3. Sir, aap bilkul sahi hain 10000% sahi. Magar aap ye to bataie ki Pakistan me unko kaun sa dalit reservation mil raha hai? Gali do, bahut gali do, magar tab jab Modi galat ho. Gali dena hi apna dhandha maat banao Udit Raj ji. Aapko dar hai ki aapka dhandha to nahi band ho jaiega.

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