नई दिल्ली: महिलाओं, क्विर एवं ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में शुक्रवार को मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक जुलूस में मां के साथ छोटे बच्चे भी पहुंचे. आठ साल के नन्हे आयरिश ने कहा, ‘मैं यहां नारे लगाने के लिए आया हूं.’
कानून के खिलाफ अपना असंतोष जाहिर करते हुए उन्होंने ‘हल्ला बोल’ और ‘आजादी’ के नारे लगाए.
गोद में अपने बच्चों को लिए हुए माताओं ने भी जुलूस में हिस्सा लिया. सावित्रीबाई फुले की जयंती पर 45 नागरिक संस्थाओं ने इस जुलूस का आयोजन किया.
प्रदर्शन में अपनी चार साल की बेटी इफरत के साथ पहुंचीं उत्तरा ने कहा कि सरकार के ‘विभाजनकारी एजेंडे’ के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी बेटी को भी साथ लाई हूं ताकि वह जाने कि हम लोग किसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं. हम लोग यहां अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.’ उत्तरा शुक्रवार को दिल्ली में सड़कों पर उतरे 600 से अधिक लोगों में शामिल थीं.
अपनी मां अशोक कुमारी के साथ आए आठ साल के नन्हे आयरिश ने कहा, ‘मैं यहां नारे लगाने के लिए आया हूं.’ कुमारी ने कहा कि उसने समाचार चैनलों पर सारे कार्यक्रम देखे हैं.
उन्होंने कहा, ‘वह जानने को उत्सुक था कि क्या हो रहा है. मैं यहां उसे प्रदर्शन के लिए लाई हूं ताकि वह जाने कि इसमें ट्रांसजेंडर और क्विर समुदाय के लोग भी हैं और उन्हें सम्मान देना कितना जरूरी है. मैं चाहती हूं कि वह लैंगिक समानता के बारे में जाने.’
मालवीय नगर से आईं पेशे से मजदूर शांति देवी ने कहा, ‘ऐसे कानून लाने के बजाय सरकार को गरीबी जैसे मुद्दों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम जैसे लोगों को ठीक से खाना मिले.’
जुलूस जंतर मंतर तक निकाला गया था.