वाराणसी: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ 19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन के बाद बनारस में गिरफ्तार किए गए कुल 57 लोगों के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज किया गया है जिनमें 56 नामजद हैं और एक अज्ञात है. आपको बता दें कि, 19 सितंबर की दोपहर करीब एक बजे बेनियाबाग से गिरफ्तार किए गए लोगों को शाम 7 बजे तक जिला कारागार भेज दिया गया.
गिरफ्तार किए गए सभी लोगों के संबंध में शनिवार देर रात तक काग़ज़ात वकीलों को मुहैया नहीं कराए गए थे. रविवार शाम जब एफआईआर की प्रति आयी. एफ़आईआर की कॉपी से ज्ञात होता है कि कुल 57 लोगों पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149 सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है. ये धाराएं दंगों के लिए लगाई जाती है. इसमें 2 वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत 19 दिसंबर की रात 08:39 बजे ही केस दर्ज कर लिया गया था.
एफआईआर में नामजद व्यक्तियों में शहर के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ताओं, वरिष्ठ नागरिक, राजनेता सहित बीएचयू के करीब 20 छात्र शामिल हैं. धनंजय त्रिपाठी, दिवाकर, रवि शेखर, एकता शेखर, नंदलाल, अनूप श्रमिक, संजीव कुमार सिंह आदि शहर के वे पहचाने हुए समाजकर्मी हैं जिनके नाम पर एफआईआर दर्ज हैं. इनके अलावा दर्जन भर से ज्यादा बीएचयू छात्र के हैं, जिसमें रवीद्र प्रकाश भारती, गौरव मणि, राज अभिषेक, अन्नत प्रकाश, नीरज दीपक सिंह, नितेश कुमार का नाम शामिल है.
इन सबके अलावा करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे लोगों को जेल में रखा गया है जो वरिष्ठ नागरिक हैं और उनकी उम्र 60 साल से ज्यादा है. ये लोग प्रतिदिन दवा लेने वाले लोग हैं. इसमें अहमद अंसारी, राजनाथ पांडे, फिरोज अहमद, छेदी लाल, अब्दुल मतीन जैसे लोगों का नाम शामिल है.
पति-पत्नी जेल में 8 महीने का बच्चा घर पर
गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल हैं शहर के एक लोकप्रिय युवा दंपत्ति रवि और एकता शेखर. रवि और एकता पर्यावरण और वायु प्रदूषण को लेकर बहुत संवेदनशील हैं और बीते पांच साल से केयर फॉर एयर नामक एनजीओ के जरिये बनारस और देश के कई जगहों पर लोगों को साफ़ हवा मुहैया कराने के हित में काम करते हैं. अपने 8 महीने के बच्चे को छोड़कर ये दंपत्ति सीएए और एनआरसी के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए आए, जहां से इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. पांच दिन हो गए, माता-पिता अपने 8 महीने के बच्चे से दूर हैं.
रवि और एकता के बच्चे का खयाल रखने के लिए दूसरे शहर से वाराणसी आई एकता की भाभी बताती हैं, ‘चम्पक (रवि और एकता के बच्चे का नाम) को किस तरह से बहलाया जा रहा है हम कैसे बताएं. शाम होते ही इसे मम्मी या पापा में से कोई एक लोग चाहिए. हम कोशिश कर रहे हैं कि इसे उनकी याद ही ना आए. जब भी दरवाजे पर कोई आ रहा है इसे लग रहा है कि इसके मम्मी-पापा आ गए हैं. ये लगातार दरवाजे की तरफ ही देख रही है.’
कौन रखे बीमार पत्नी और नवजात का खयाल?
दिवाकर बीएचयू आईआइटी में रिसर्च स्कॉलर हैं. इनका अभी एक महीने का बच्चा है और पत्नी अभी कुछ दिनों पहले ही अस्पताल से वापस घर आईं हैं. उनकी सेहत में सुधार हो रहा है लेकिन उन्हें अभी देखभाल की बहुत जरूरत है. दिवाकर की पत्नी पिछले 6 महीने से बीमार हैं. कुछ ही दिन पहले ही डिलीवरी जैसी नाजुक हालत से गुजरने वाली, डॉक्टर की सलाह पर बेड रेस्ट पर उनका रिश्तेदार खयाल रख रहे हैं. पति के बारे में बात करने पर प्रज्ञा सिंह की (दिवाकर की पत्नी) की आंखें भर आई और बच्चे की तरफ देखने लगीं.
राजनाथ पांडे भी बनारस में गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल हैं. इनकी उम्र करीब 80 साल है. उनकी पत्नी बेड पर ही रहती हैं. वो चलने-फिरने में असमर्थ हैं. राजनाथ उनका खयाल रखने वाले इकलौते शख्स हैं. उनकी गिरफ्तारी के बाद पत्नी का खयाल रखने वाल कोई नहीं है, ना वो समय पर दवा ले पा रही हैं ना ही समय पर खाना खा पा रहीं. राजनाथ के कुछ साथी अब उनका खयाल रख रहे हैं.
गिरफ्तार किए गए लोगों में बीएचयू के स्टूडेंट आशुतोष का नाम भी शामिल है. आशुतोष चंदौली के रहने वाले हैं. उनके पिता और दादा बताते हैं कि हमारा एक पुत्र/पौत्र है. जबसे मालूम हुआ है वो गिरफ्तार हो गया है हमें कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है. आशुतोष के दादा बताते हैं, ‘जब हम ठंडे दिमाग से सोच रहे हैं तो ये भी लग रहा है कि बच्चे ने हमारे गलत नहीं किया था, वो तो शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहा था, बनारस से कोई भी तोड़फोड़ की खबर तब तक नहीं मिली थी, फिर भी गिरफ्तार हो गया.’
लोगों पर लगाई 151 के अलावा संगीन धाराएं
गिरफ्तार लोगों के बारे में वाराणसी के पुलिस अधिकारी थाना चेतगंज सीओ अनिल कुमार बताते हैं, ‘इन लोगों पर जो धाराएं लगनी चाहिए थीं वही लगाई गई हैं. एफ़आईआर की कॉपी देर से कोर्ट में पहुंचने के बारे में पूछने पर पुलिस अधिकारी बताते हैं, ‘गुरुवार को 151 की धारा (सार्वजनिक शांति भंग करने) में जेल भेजा गया था. मुकदमा लिखा गया अगले दिन.’ संडे को कोर्ट बंद रहती है. सोमवार को कोर्ट में भेजा गया.’ एफ़आईआर के बारे में जब उनसे आगे बात की गई तो उन्होंने अपनी व्यस्तता कहकर बात करने से मना कर दिया.
गिरफ्तार लोगों पर लगाई गई धाराओं को गलत बताते हुए राज्य सचिव भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के डॉक्टर हीरलाल यादव बताते हैं कि, ‘गिरफ्तार किए गए लोगों पर 151 के अलावा जो भी धाराएं लगाई गई हैं वो बिलकुल भी जायज नहीं है. एक तरह से लोकतान्त्रिक अधिकारों पर प्रशासन का हमला है. आगे कहते हैं कि, ‘ऐसे तो 151 की धारा भी नहीं लगनी चाहिए क्योंकि संविधान में हर नागरिक का मौलिक अधिकार है कि वो यूनियन बना सकता है, संगठन बना सकता है, अपनी आवाज़ शांतिपूर्वक तरीके से उठा सकता है. ये लोग जो जुलूस निकाल रहे थे उनका राष्ट्रव्यापी आह्वान था पूरे देशभर में. ये बिलकुल शांतिपूर्वक तरीके से अपनी बात कह रहे थे जिसमें ना कोई हिंसा थी ना कोई उत्तेजना थी.’
हीरालाल कहते हैं कि, ‘प्रशासन ने सरकार के निर्देश पर एक तरह से दमन करने की कोशिश की है जो संविधान विरोधी है लोकतंत्र विरोधी है.’
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता अनुराधा मिश्रा कहती हैं, ‘लोगों पर जो धाराएं लगाई हैं वो बिलकुल गलत हैं. हमारा संविधान हमें शांतिपूर्वक प्रदर्शन का अधिकार देता है. अगर कोई भी व्यक्ति अपनी बात कह रहा है उसे अपनी बात कहने का अधिकार है. ये चुनी हुई सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वो व्यक्ति की बात सुने. पुलिस का उपयोग करके दमन से उनकी बात को दबाना लोकतन्त्र नहीं है. ये सरकार जिस तरह से लोगों की आवाज दबा रही है वो गलत है.’
बता दें कि बीते 19 दिसंबर की सुबह बनारस के बेनियाबाग मैदान में सीएए और एनआरसी के खिलाफ एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया था. पुलिस ने वहां से 69 लोगों को हिरासत में लिया जिसमें से बीएचयू के कुछ छात्रों को गोदौलिया (जगह का नाम) से गिरफ्तार किया गया था. ये छात्र यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह की तैयारी के लिए सामान खरीदने के लिए निकले थे.
शाम तक 69 लोगों पर आईपीसी की कुछ संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किय गया है. फिर देर रात को सभी को जेल भेज दिया गया. खबर लिखे जाने से थोड़ी देर पहले बीएचयू के उन आठ छात्रों को छोड़ दिया गया जिन्हें गोदौलिया से गिरफ्तार किया गया था. इनके नाम पर एफ़आईआर दर्ज नहीं किए गए थे.
(रिज़वाना तबस्सुम स्वतंत्र पत्रकार हैं)