नई दिल्ली: नागरिक उड्डयन मंत्री ने नई दिल्ली में दिप्रिंट के ऑफ द कफ कार्यक्रम में कहा कि एअर इंडिया के निजीकरण करने का फैसला कोई हमारी पसंद नहीं है बल्कि सिर्फ आगे बढ़ने का यही रास्ता है.
उन्होंने कहा, ‘एयर इंडिया वर्तमान में जिस ऋण के बोझ से जूझ रहा है, उसके स्तर को पार करना असंभव है. मैं हर दिन एयर इंडिया के निजीकरण की चुनौती के प्रति सतर्क रहता हूं.’
पुरी जो कि शहरी एवं हाउसिंग मंत्री के साथ-साथ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री भी हैं, दिप्रिंट के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता से बात कर रहे थे.
उन्होंने दर्शकों को सूचित किया कि इस साल नवंबर में घरेलू भारतीय हवाई सेवा ने विकास के दो-डिजिट के आंकड़ों को दिसंबर 2018 के बाद से पहली बार हासिल किया है.
पुरी ने बातचीत में बताया कि कैसे उड्डयन का क्षेत्र अकेले हीं इतनी क्षमता रखता है कि वो भारत के आर्थिक विकास को गति दे सकें. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य अगले 3-5 सालों में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों की संख्या को दोगुनी करना है.
एअर इंडिया की पहेली
पुरी ने बताया कि एअर इंडिया एक फायदा देने वाली संस्था थी जब तक कि उसका और इंडियन एयरलाइंस का मर्जर (विलय) नहीं हुआ था. इस बयान पर गुप्ता ने टिप्पणी कि, ‘ये कभी-कभी लाभदायक था लेकिन ज्यादातर समय नहीं.’
पुरी द्वारा दिए गए तर्कों के एक बड़े हिस्से में यही कहा गया कि एअर इंडिया के आधार को पिछले कुछ सालों में मज़बूती मिली है, लेकिन कंपनी जिस कर्ज में डूबी हुई है उसके साथ चल पाना अब असंभव है.
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मंत्री ने कहा, ‘मैं एअर इंडिया पर गर्व करता हूं. यह प्रथम श्रेणी की संपत्ति है हमारे लिए. इसका सुरक्षा का रिकॉर्ड काफी शानदार रहा है जिसमें काफी अच्छे इंजीनियर और कैबिन क्रू शामिल रहे हैं.
पुरी ने कहा कि हाल के समय में एअर इंडिया ने तेज़ी पकड़ी है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की संख्या में आई तेज़ी की तरफ ध्यान दिलाया.
पुरी ने कहा, ‘लेकिन क्या संभव है कि एक एअरलाइन को हम चला सकें जिसके आंकड़ों से हम सामना कर रहे हैं.’
एअर इंडिया का कुल कर्ज जो रिपोर्ट किया गया है वो लगभग 60 हज़ार करोड़ रुपए का है.
काफी कोशिशों के बाद भी नरेंद्र मोदी सरकार एअर इंडिया का खरीददार नहीं ढूंढ सकीं. इस संदर्भ में गुप्ता ने पुरी से पूछा, क्या वो इस बार खरीददार ढूंढ पाएंगे?
मंत्री ने कहा, ‘हमारे पास सफल होने के अलावा कोई दूसरा विकल्प है भी नहीं. उन्होंने कहा कि एअर इंडिया को बेचना हमारी पसंद नहीं है, सिर्फ आगे बढ़ने का यही रास्ता है.’
इसी तरह का बयान संसद में देने के बाद काफी विवाद हुआ था. उसपर बोलते हुए पुरी ने कहा, ‘ऐसे बयान 10 साल पहले हीं दे देने चाहिए थे.’
ये पूछने पर कि एअर इंडिया का विनिवेश इस वित्तीय वर्ष में पूरा हो जाएगा. पुरी ने कहा, ‘हम तय समय में इसे पूरा करने का काम कर रहे हैं, लेकिन निश्चत समय पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते.’
आर्थिक विकास को चलाएमान बनाने के लिए
हवाई क्षेत्र में पिछले साल जेट एअरवेज़ की सेवा बंद हो जाने के बाद कुछ सालों के भीतर विकास काफी कम हुआ था. अप्रैल में घरेलू एअर ट्रैफिक देश में सिकुड़ कर 4.5 प्रतिशत पर आ गया जोकि दोहरे आंकड़ों में रहता था.
हालांकि, हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सबसे खराब हमारे पीछे है क्योंकि उन्होंने कहा कि घरेलू हवाई यातायात ने नवंबर में दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की.
मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार ने कैसे भारत में हवाई सेक्टर को मज़बूती देने के लिए योजना बनाई है.
पुरी ने कहा, ‘वर्तमान में हमारे पास 147 हवाई अड्डे हैं जिसमें 35 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की सेवाएं देती हैं. आने वाले 3-5 सालों में हम घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों की संख्या को दोगुनी कर देंगे.
इस क्षेत्र में धीमी गति से हो रहे विकास पर पुरी ने कहा, ‘जब जेट एअरवेज़ ने सेवाओं पर रोक लगाई, तब हमारे पास 560-70 नागरिक जहाज थे और अभी हमारे पास 690 हैं.’
‘आज जब हम हवाई सेक्टर की बात कर रहे हैं तो हमें 490 मिलियन यात्रियों की बात करनी होगी. मैं आशावादी हूं और कहना चाहता हूं कि हम कुछ समय के भीतर बिलियन यात्रियों के यात्रा करने की दिशा में देख रहे हैं.’
एअरलाइन चलाने वाले लोगों की प्रशंसा की
एअरलाइन चलाने की दिक्कतों के बारे में बोलते हुए पुरी ने इन व्यवसायों को चलाने वाले लोगों के लिए प्रशंसा व्यक्त की.
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पुरी ने कहा, ‘जो लोग हवाई अड्डे चलाते हैं, वे लैंडिंग अधिकारों और शुल्क-मुक्त दुकानों के माध्यम से पैसा कमाएंगे. ओला और उबर, जो एविएशन इकोसिस्टम से बंधे हैं, पैसे भी कमाते हैं.’ ‘लेकिन यह एक एयरलाइन के लिए अधिक कठिन है कि हवाई अड्डे तक भी चलाया जाए.’
उन्होंने कहा कि एअरलाइनों को मांग के संदर्भ में हर मार्ग का मूल्यांकन कैसे करना है, और कोई भी मार्ग जहां लोड 80 प्रतिशत से कम है, ‘अलार्म की घंटी बंद होने लगती है.’
हल्के माहौल में, पुरी ने मजाक में कहा कि जिसने भी भारत में आवास और शहरी मामलों के मंत्री के रूप में कार्य किया है, उसने पद छोड़ने के बाद वास्तव में अच्छा काम किया है, लेकिन यह तस्वीर पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्रियों के लिए नहीं है.
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