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Saturday, 21 December, 2024
होमराजनीतिसीएबी पर बसपा के रुख से आहत भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर का अपनी पार्टी बनाने का एलान, दिल्ली चुनाव लड़ेंगे

सीएबी पर बसपा के रुख से आहत भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर का अपनी पार्टी बनाने का एलान, दिल्ली चुनाव लड़ेंगे

दिल्ली विधानसभा चुनाव में चंद्रशेखर की पार्टी अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. यूपी में ये पार्टी पहले पंचायत चुनाव में उतरेगी.

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लखनऊ: भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर ने अब पूरी तरह से राजनीति में उतरने का फैसला ले लिया है. जल्द ही वह अपनी पार्टी के नाम का एलान करने वाले हैं. अभी तक भीम आर्मी बसपा को राजनीतिक विकल्प के तौर पर समर्थन देती थी लेकिन नागरिकता संशोधन बिल पर बसपा के रुख से आहत होकर चंद्रशेखर ने अपने खुद के राजनीतिक दल का एलान किया है. उन्होंने बताया कि वह आगामी दिल्ली विधानसभा में अपने उम्मीदवार उतारेंगे. इसके बाद यूपी में पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.

दिल्ली से शुरुआत, यूपी पर विशेष ध्यान

आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में चंद्रशेखर की पार्टी अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. चंद्रशेखर के सहयोगी कुश ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी के नाम का ऐलान कुछ दिनों के भीतर ही हो जाएगा. यूपी में ये पार्टी पहले पंचायत चुनाव में उतरेगी. इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव लड़ेगी. चंद्रशेखर खुद चुनाव लड़ेंगे या नहीं इस पर बाद में फैसला होगा. फिलहाल लखनऊ में पार्टी का जल्द ही कार्यालय खोला जाएगा. बता दें कि पश्चिम यूपी में भीम आर्मी की मजबूत पकड़ है. ऐसे में पार्टी का यूपी पर विशेष फोकस रहेगा.

सोशल मीडिया पर किया ऐलान

चंद्रशेखर ने ट्विटर पर इसका ऐलान करते हुए लिखा -‘मैं चन्द्रशेखर आज़ाद बहुजन समाज को आज नए राजनीतिक विकल्प देने की घोषणा करता हूं और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले ईमानदार,संघर्षशील और मिशनरी युवाओं से अपील करता हूं की आकर नेतृत्व संभाले. अब दौलत वाला नही,काम करने वाला नेता बनेगा.जय भीम.’ चद्रशेखर का ये ऐलान नागरिकता संशोधन बिल पर बसपा का रुख देखने के बाद आया है.

चंद्रशेखर ने ट्विटर पर लिखा -जब संसद में संविधान की हत्या हो रही थी उस वक्त बसपा के दो राज्यसभा सांसद संविधान बचाने की लड़ाई छोड़कर भाग गए और बीजेपी को फायदा पहुंचाया. ऐसा करके उन्होंने बाबा साहेब,माननीय कांशीराम जी और पूरे बहुजन समाज के साथ छल किया है.इससे पहले भी गैर संवैधानिक आर्थिक आधार पर आरक्षण,धारा 370 पर समर्थन देकर बहन मायावती जी ने भाजपा को फायदा पहुंचाया.ऐसा करके आपने बहुजन समाज के अभिन्न अंग मुस्लिम समाज को असुरक्षित महसूस करवाया और बहुजन राजनीति को कमजोर किया.


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चंद्रशेखर ने पार्टी के नाम के लिए सोशल मीडिया पर सुझाव भी मांगा है.चंद्रशेखर के मुताबिक ‘नई पार्टी में आंबेडकरवादी युवाओं को आगे बढ़ने का मौका देंगे. उनमें नेतृत्व विकसित करेंगे.बहुजन समाज के काफी नौजवान लंबे वक्त से जेल काट रहे हैं. वे समाज के सच्चे हितेषी हैं. चंद्रशेखर ने आगे बताया कि कांशीराम का एक वोट एक नोट वाले फॉर्मूले पर पार्टी को खड़ा करेंगे.

सीएबी और एनआरसी को बताया संविधान के खिलाफ

चंद्रशेखर के मुताबिक, सीएबी और एनआरसी देश के संविधान को ख़त्म करने की साज़िश है. इस देश के दलित,आदिवासी, पिछड़े, मुस्लिम यहां के मूलनिवासी है. जो बाहर से आए हैं वो आर्यन है उनका डीएनए टेस्ट हो और उन्हें पहले एनआरसी के दायरे में लाया जाए. देश के बहुजन कमर कसे संविधान की सुरक्षा व देश के सबसे बड़े आंदोलन के लिए.

मायावती का नहीं मिला सहयोग

चंद्रशेखर ने दलितों की आवाज उठाने के लिए तमाम तरह के विरोध प्रदर्शन किए लेकिन उन्हें कभी बसपा सुप्रीमो मायावती का समर्थन नहीं मिला. यहां तक की कई बार चंद्रशेखर ने मायावती से मिलने की भी कोशिश की लेकिन मायावती ने मुलाकात नहीं की. यही कारण है कि चंद्रशेखर ने अब बहुजन समाज की आवाज उठाने के लिए चुनावी राजनीति में उतरने का फैसला किया है.

कैसे सुर्खियों में आए चंद्रशेखर

चंद्रशेखर का जन्म सहारनपुर में चटमलपुर के पास धडकूलि गांव में हुआ. उन्होंने लाॅ की पढ़ाई की. वह पहली बार 2015 में सुर्खियों में आए. उन्होंने अपने मूल स्थान पर एक बोर्ड लगाया था, जिसमें ‘धडकाली वेलकम यू द ग्रेट चमार्स’ लिखा था. इस कदम ने गांव में दलितों और ठाकुर के बीच तनाव पैदा कर दिया था. चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया के जरिए काफी सुर्खियां बटोरी हैं. चंद्रशेखर ने फेसबुक और व्हाट्सअप के जरिए लोगों को भीम आर्मी से जोड़ने का काम किया. वह दलित -मुस्लिम यूनिटी के पक्षधर हैं.

साल 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और सवर्णों के बीच हिंसा हुई .इस दौरान एक संगठन उभरकर सामने आया, जिसका नाम था भीम आर्मी. पूरा नाम ‘भारत एकता मिशन भीम आर्मी’ है और इसका गठन करीब 6 साल पहले किया गया था. इस संगठन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं चंद्रशेखर, जिन्होंने अपना उपनाम ‘रावण’ रखा हुआ था जो बाद में हटा दिया.

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