नई दिल्ली: देशभर के कई विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों के छात्र फीस वृद्धि और अपनी कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. जेएनयू, बीएचयू, दिल्ली विश्वविद्यालय से शुरू हुआ प्रदर्शन अब देश के सबसे बड़े मीडिया संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) तक पहुंच चुका है.
देशभर के शिक्षण संस्थान में हो रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन में सोशल मीडिया बड़ी भूमिका अदा कर रही है. छात्र अपने मुद्दों और समस्याओं को फेसबुक और ट्विटर के जरिए प्रशासन और समाज के सामने ला रहे हैं और यह नया ट्रेंड बनकर उभरा है.
देशभर के शिक्षण संस्थानों में काफी लंबे समय से हॉस्टल और मेस (भोजनगृह) फीस वृद्धि और वहां मिलने वाली सुविधाओं को लेकर प्रदर्शन होते आए हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से यानी कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा फीस वृद्धि को लेकर किए गए प्रदर्शन के बाद देश के कई संस्थानों के छात्र इस मुद्दे पर भी एकजुट होते नज़र आ रहे हैं.
जेएनयू से सटे भारतीय जनसंचार संस्थान में भी फीस वृद्धि को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्र तीन दिसंबर से अपनी मांगों को लेकर कैंपस में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि फीस को कम किया जाए जिससे गरीब छात्र भी कैंपस में दाखिला ले सके.
देश में विरोध प्रदर्शन के तरीकों में हो रहा है बदलाव
तीन दिसंबर को जब दिप्रिंट ने आईआईएमसी कैंपस में चल रहे प्रदर्शन पर नजर डाली तो पता चला कि छात्र इसको लेकर काफी गंभीर हैं और वो सूचना के अलग-अलग माध्यमों के जरिए अपनी मांगों को रख रहे हैं. इसमें खासतौर पर सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है.
छात्र फेसबुक, ट्वीटर और व्हाट्सएप के जरिए सूचनाओं को शेयर कर रहे हैं. अपनी मांगों को प्रदर्शित करने के लिए छात्र पोस्टर, बैनर, स्लोगन और क्रांतिकारी गीतों का सहारा भी ले रहे हैं.
आईआईएमसी में हिंदी पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहीं कीर्ती रावत ने दिप्रिंट को बताया, ‘सोशल मीडिया से ही सपोर्ट है. स्टूडेंट्स फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #SaveMediaEducation और #feesmustfall हैशटैग के साथ फोटोस और पोस्ट शेयर कर रहे हैं.’
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कैंपस में घुसते ही सस्ती शिक्षा, सबका अधिकार के नारे और फैज़ अहमद फैज़ की नज़्म- ‘हम देखेंगे, हम देखेंगे की लाज़िम है कि हम भी देखेंगे जैसे गीत छात्र गा रहे हैं और अपनी मांगों को लेकर कैंपस के लॉन में बैठे हैं.’
भारतीय जनसंचार संस्थान के रेडियो टेलीविजन (आरटीवी) विभाग के विद्यार्थी ऋृषिकेश शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘जो भी हमें समस्या थी उसे हमनें सोशल मीडिया पर लिखना शुरू किया. जिससे सभी लोगों तक हमारी बात पहुंचे. इसपर हमारे संस्थान के सीनियर छात्रों ने अच्छी प्रतिक्रिया दिखाई इससे हमलोगों को काफी संबल मिला है. उन्हें लग रहा है कि हमारे पीछे कोई खड़ा है.’
पिछले कुछ सालों में छात्र आंदोलनों में इस तरह के गीत और प्रदर्शन करने के तरीके में काफी बदलाव आया है. आईआईएमसी में भी तीन दिसंबर से इसी तरह का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है.
शर्मा ने कहा, ‘जब हमने प्रदर्शन शुरू कर दिया है तो सोशल मीडिया ही है जो हमें सबसे ज्यादा बल दे रहा है. उन्होंने बताया कि जैसे जेएनयू में ‘फी मस्ट फॉल’ (#FeeMustFall) ट्रेंड काफी प्रचलित हुआ था हमने उसे ही जारी रखा है. क्योंकि जहां भी छात्र इस तरह का कोई प्रदर्शन कर रहे हैं वो इसी ट्रेंड का इस्तेमाल कर रहे हैं.’
छात्रों द्वारा बनाए गए पोस्टर में लिखा हुआ कि, ‘लड़ो पढ़ाई करने के लिए और पढ़ो समाज बदलने के लिए.’ छोटे-छोटे कोट्स को छात्रों ने कई भाषाओं में लिखा है. जिसमें उर्दू, मराठी, अंग्रेजी और पंजाबी समेत कई भाषा शामिल हैं.
एक पोस्टर में लिखा है कि –‘हाउ्स द फीस? हाई सर!’
प्रदर्शन में हिंदी सिनेमा आर्टिकल-15 में इस्तेमाल किए गया एक जन-गीत के तर्ज पर एक पोस्टर बनाया गया है. जिसमें लिखा गया है कि, ‘कहब द लग जाई धक से, बड़े-बड़े लोगन के एमिटी और शारदा, हमनी गरीबन के आईआईएमसी जुलम बा !’
ऐसे पोस्टर और स्लोगन का इस्तेमाल जेएनयू में छात्रों द्वारा किए गए प्रदर्शन में भी देखने को मिला था.