तिरुवनंतपुरम: भूख और गरीबी का आलम ये है कि एक महिला का बच्चा भूख की वजह से मिट्टी खाने लगा. अपने बच्चे को मिट्टी खाते देख महिला ने गुहार लगाई उसकी इस गुहार से पूरा राज्य स्तब्ध है. इस महिला ने भूख की वजह से तड़पते अपने बच्चे को जब मिट्टी खाते देखा तो राज्य सरकार से अपील की कि वह उसके बच्चों को अपनी शरण में ले लें.
महिला तिरुवनंतपुरम में सचिवालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर उपलामोदु पुल पर एक अस्थाई तंबू में अपने छह बच्चों के साथ रह रही थी. मां श्रीदेवी भूख से बिलखते अपने बच्चों को देख नहीं पाई और अपने बच्चों को दो जून की रोटी देने के लिए सरकार से मदद मांगी..मां की यह आवाज कई लोगों के दिल को छू गई और उनकी मदद के लिए कई लोग आगे आए हैं.
श्रीदेवी की यह गुहार तब लोगों के सामने आई, जब बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने चार बच्चों को अपने संरक्षण में ले लिया. इन बच्चों में दो लड़के हैं जो सात साल और पांच साल के हैं. वहीं दो लड़कियां हैं जो चार साल और दो साल की हैं.
इसके बाद महिला सहित उसके दो छोटे बच्चों को, जो कुछ ही महीने के हैं, उन्हें राज्य द्वारा संचालित आश्रय गृह में भेज दिया गया है.
तिरुवनंतपुरम के महापौर के श्रीकुमार ने महिला को निगम के एक कार्यालय में नौकरी भी दी है. निकाय यह सुनिश्चित करेगा कि महिला के बच्चों को शिक्षा से वंचित न होना पड़े.
महिला को एक फ्लैट भी मुहैया कराया जाएगा.
श्रीकुमार मंगलवार को महिला से मिलने गए थे और उन्हें आश्वस्त किया था कि एक अस्थायी नौकरी उन्हें दी जाएगी.
अधिकारियों के अनुसार महिला ने सीडब्ल्यूसी को एक पत्र लिखा था. उसमें उन्होंने बताया था कि उसका पति शराबी है और वह अपने बच्चों को खाना नहीं खिला पा रही है. इस पत्र में उसने यह भी बताया था कि एक बच्चे ने तो भूख की वजह से मिट्टी भी खा लिया.
महिला के पति ने मीडिया को कहा कि उसे बच्चे को सीडब्ल्यूसी को सौंपने के बारे में जानकारी नहीं दी गई और उसका दावा है कि कुछ रिश्तेदारों के दबाव में आकर ऐसा हुआ.
विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला भी महिला से मिलने गए और उन्होंने कहा कि यह राज्य के लिए शर्म की बात है कि बच्चे को गरीबी की वजह से मिट्टी खाना पड़ा. राज्य सरकार को जरूरी कदम उठाना चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने दिल्ली में मीडिया को बताया कि राज्य सरकार बच्चों को शिक्षा मुहैया कराएगी.