सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6 साल के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. यह चिंताजनक है और भारत के जीडीपी को पूर्व-उदारीकरण युग के विकास की हिंदू वृद्धि दर से नीचे नहीं जाना चाहिए. मोदी सरकार को निवेश की मांग को पुनर्जीवित करने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक उपायों को मिलाकर काम करना चाहिए.