नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार द्वार 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद राज्य में संचार सेवा और बाकि पाबंदियों को लेकर दायर की गई याचिकओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें पेश की. यह यचिका कश्मीर टाइम्स के एडिटर अनुराधा भसीन और काग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की ओर से दायर की गई थी जिस पर सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई शुरू की है. सिब्बल ने अपनी दलील में कहा हि धारा 144 में राष्ट्रीय सुरक्षा का जिक्र नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है.
Supreme Court reserves judgement on a batch of petitions, including petition by Congress leader Ghulam Nabi Azad, challenging the imposition of restrictions on internet, telephone services, after Centre's August 5 order of abrogating article 370 in Jammu and Kashmir.
— ANI (@ANI) November 27, 2019
मामले को लेकर सुनवाई करने वाली पीठ में न्यायमूर्ति एनवी रमना के अलावा न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं.
"Union says that it's a matter of national security. Where is the mentioning of national security, in Sec144.? Sec144 doesn't reflect any kind of problem in national security. The argument by Govt is wrong," Kapil Sibal representing petitioner Ghulam Nabi Azad https://t.co/OQm0WzSa7D
— ANI (@ANI) November 27, 2019
गुलाम नबी आजाद की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा, ‘केंद्र सरकार कह रही है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है. उन्होंने सवाल किया कि धारा 144 में राष्ट्रीय सुरक्षा का जिक्र कहां पर किया गया है. धारा 144 कहीं से भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले का जिक्र नहीं है. सरकार की ओर से दी जा रहीं दलीलें गलत हैं.
इससे पहले पीठ ने कहा था कि न्यायमूर्ति एनवी रमना के नेतृत्व वाली पीठ ने प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में व्यापक पैमाने पर तर्क दिए गए हैं और उन्हें सभी सवालों का जवाब देना होगा.
इसने कहा था, ‘मिस्टर मेहता, आपको याचिकाकर्ताओं के हर सवाल का जवाब देना होगा जिन्होंने विस्तार में तर्क दिए हैं. आपके जवाबी हलफनामे से हमें किसी नतीजे पर पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली है. यह संदेश न दें कि आप इस मामले पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे हैं.’