1994 में रिहाई के बाद हजारों लोगों ने यासीन मलिक पर फूल बरसाए थे. कुछ को टेरर फंडिंग के मामले में उसकी उम्र कैद की सजा पर दुख होगा. बाद की सरकारों ने मलिक को छूट दी थी – 1990 में हत्या का मामला अभी भी अदालत में है – इस उम्मीद में की वो शांति बहाल करने में मददगार होगा. इसके बजाय उसने कश्मीर को आग में झोंक दिया. उन गैर-न्यायिक नीतियों पर आज जेल के दरवाजा बंद हो गए.