खून से लथपथ एक रेप पीड़िता किशोरी को घंटों उज्जैन की सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ दिया गया, जिसे राहगीरों ने नजरअंदाज कर दिया, जब तक कि एक मंदिर के दयालु पुजारी ने दखल नहीं दी, यह दिखाता है कि भारत अभी भी ‘निर्भया’ को अपनी बेटी नहीं मानता. जिम्मेदार अपराधियों को दंडित किया जाए, लेकिन जब तक हम खुद अपने अंदर नहीं झांकेंगे, तब तक न्याय नहीं मिल सकता.