ऐसा लगता है कि हर राज्य के चुनावों से पहले ईडी, सीबीआई और सीबीडीटी की तिकड़ी को खुली छूट देना बीजेपी की लत बन चुकी है. चाहे चुनाव में इससे कोई फर्क पड़े या नहीं. केरल इसका ताज़ा उदाहरण है. सहकारी संघवाद यानी कि को-ऑपरेटिव फेडरलिज़म के लिए के लिए यह ज़हर के समान है.