विश्वविद्यालयों में महिलाओं को बैन का तालिबान का फैसला दिखाता है कि अफगानिस्तान में शासन करने वाले जिहादी वैश्विक अपीलों से बेअसर हैं. दुनिया को नज़रअंदाज़ कर, तालिबान ने कोड़े मारने और अंग-भंग की प्रथा बहाल कर दी है. महिलाओं ने काम, स्वास्थ्य सेवा, स्कूलों तक पहुंच खो दी है. यह बर्बरता तब तक जारी रहेगी जब तक कि तालिबान नेताओं को टारगेटेड वैश्विक दबाव के तहत नहीं लाया जाता.