अब समय आ गया है कि अदालतें खुद को अपडेट करें और अपनी शब्दावली से पुराने, लैंगिकवादी और आरोपित शब्दों को हटा दें. सुप्रीम कोर्ट की ‘हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स’ लंबी प्रक्रिया में एक अच्छा पहला कदम है. अब, उन्हें इन परिवर्तनों को निर्णयों में भी बदलना चाहिए.