सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के तौर पर वर्दीधारी अधिकारियों की आधिकारिक नियुक्ति एक स्वागत योग्य सुधार है. यह नागरिक-सैन्य क्षमता को दुरुस्त करने और भारत के रणनीति को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से है. लेकिन इस तरह के सुधार की धीमी गति चिंता का विषय बना हुआ है.