मोहम्मद जुबैर को रिहा करने का स्पष्ट आदेश सुप्रीम कोर्ट के कद को बढ़ाने वाला है. यह हमारी जमानत से बचने वाली निचली न्यायपालिका की सड़न को भी रेखांकित करता है. यही वजह है कि जुबैर को 23 दिन की अन्यायपूर्ण जेल हुई. एक देश में दो विपरीत न्यायिक दृष्टिकोण नहीं होने चाहिए. गिरफ्तारी के लिए शक्ति का बेशर्मी से दुरुपयोग और जमानत से इनकार के लिए दंडित किया जाना चाहिए.