सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 1.4 लाख करोड़ रुपये का चूना लगाने वाली टेलीकॉम कंपनियों को राहत न देने की हठ की व्याख्या नहीं की जा सकती है. इसी तरह के मील का पत्थर – लेकिन अनुचित – फैसले ने हाल के वर्षों में अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई है, मंदी में योगदान दिया है. दूरसंचार क्षेत्र को दिवालिया करने का काम अदालत को नहीं करना चाहिए.