न्यायधीश रंजन गोगोई के निर्दोष होने पर शक किए बिना या महिला के यौन उत्पीड़न की शिकायत को देखे बिना. इस बात को बल देता है कि इस प्रक्रिया में अनदेखी की गई है. यद्यपि सुप्रीम कोर्ट के तीन सम्मानित जजों ने समिति का गठन किया और शिकायतकर्ता स्वयं इनके सामने तीन बार उपस्थित हुई. ऐसा प्रतीत हो रहा कि इस प्रक्रिया में जल्दबाजी दिखाई गई है. यह अच्छा उदाहरण नहीं है.