कश्मीर में हुर्रियत राजनीति के लगातार बेअसर होने के बीच सैयद अली शाह गिलानी की मौत आखिरी झटके की तरह है. इससे मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के पास मौका है कि वो मोहभंग कश्मीरी युवाओं का समर्थन फिर से हासिल करे. नई दिल्ली के पास एक नया राजनीतिक जुड़ाव बनाने का भी अवसर है.