इलेक्टोरल बांड के लिए आरबीआई और चुनाव आयोग की आपत्तियों के बारे में नए खुलासे ने राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता के लिए मोदी सरकार के अभियान को पटरी से उतार दिया है. ये बॉन्ड राजनीतिक पार्टियों के बीच के समान अधिकार को खत्म कर सकता है और मौजूदा सत्ता इससे चंदा देने वालों को तंग कर सकती है. इस योजना की नए सिरे से पड़ताल होना ज़रूरी है.
होम50 शब्दों में मतआरबीआई और चुनाव आयोग की आपत्तियों के बाद इलेक्टोरल बांड योजना की नए सिरे से जांच की जानी चाहिए
आरबीआई और चुनाव आयोग की आपत्तियों के बाद इलेक्टोरल बांड योजना की नए सिरे से जांच की जानी चाहिए
दिप्रिंट का महत्वपूर्ण मामलों पर सबसे तेज नज़रिया.
Text Size:
share & View comments
