राहुल गांधी का एक दिन आदित्य ठाकरे के साथ चलना और अगले दिन सावरकर पर हमला करना राजनीतिक अपरिपक्वता को दर्शाता है. कांग्रेस नेता को अपनी दादी इंदिरा गांधी से सीखना चाहिए कि इतिहास के जटिल चरित्रों से कैसे निपटा जाता है. उन्हें इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि उनकी सरकार ने 1966 में सावरकर के सम्मान में डाक टिकट क्यों जारी किया था.