सीडब्ल्यूसी ने गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया, जो कि अनुमान मुताबिक है. वे चुनावी मजबूरी हैं लेकिन कांग्रेस को कोई विकल्प नहीं मिल रहा. उनकी अपरिहार्यता इसके अस्तित्व के संकट को और ज्यादा बढ़ा देती है. आत्मनिरीक्षण के लिए ‘चिंतन शिविर एक अच्छा विचार है, लेकिन कमरे में हाथी को यानि गांधी परिवार को रिजेक्ट करने पर कौन ध्यान देगा?
EPFO ब्याज दर कमाई पर निर्भर है न की राजनीति पर, कटौती आर्थिक समझ में आती है
ईपीएफओ की ब्याज दर को 8.5 फीसदी से घटाकर 8.1 फीसदी करने की आलोचना महज राजनीति है. वास्तविक दरें क्रैश हो गई हैं और यहां तक कि 8.1% भी सभी श्रेणियों में ज्यादा है. ईपीएफओ ब्याज भुगतान उसकी कमाई पर निर्भर करता है और 8.5 फीसदी से घाटे वजह बनता है. सामाजिक सुरक्षा महत्वपूर्ण है लेकिन इसे आर्थिक रूप से भी समझना चाहिए.