पाकिस्तान कुछ विदेशी पत्रकारों और राजनायिकों को अपने द्वारा निर्देशित बालाकोट दौरे पर ले गया. इसके सहारे वो अपने इस दावे को बल देने की कोशिश कर रहे हैं कि 26 फरवरी को भारतीय एयरफोर्स के बमबर्षा में कोई नुकसान नहीं हुआ. साथ ही जैश ए मोहम्मद के मदरसों को भी कोई नुकसान नहीं हुआ. हवाई हमले के छह हफ्ते बाद ऐसे दौरे का कोई मतलब नहीं है.
चुनावी बांड से मिलने वाला चंदा पारदर्शी होना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट कल एक बेहद अहम निर्णय लेगा. इसमें ये बात साफ हो जाएगी की चुनावी बांड से चंदा पाने वाले और इसे देने वाले की पहचान गुप्त रहनी चाहिए या नहीं. कोर्ट को पारदर्शिता का पक्ष लेना चाहिए. चुनाव आयोग का भी यही मानना है. लोकतंत्र में राजनीतिक चंदे को गुप्त रखना सही नहीं है.
पाकिस्तानी पायलटों के राफेल प्रशिक्षण के बेकार का बवाल है
पाकिस्तानी पायलटों को राफेल उड़ाने की ट्रेनिंग दिए जाने की संभावना से जुड़ा विवाद गलत जानकारी पर आधारित है. वह भी खासतौर पर तब जब हम एक ऐसे दौर में हैं जब संयुक्त सैन्य अभ्यास का चलन तेजी से बढ़ रहा है. फौजों के लिए एक दूसरे का एयरक्राफ्ट और सामान इस्तेमाल करना आम बात हो गई है. ये चीजें दुश्मन की भी हो सकती हैं. ये चिंता की बहुत बड़ी बात नहीं है.