पहले कर्नाटक, अब तमिलनाडु द्वारा अमूल दूध की बाजार में एंट्री का विरोध मूलरूप से प्रतिस्पर्धा विरोधी, उपभोक्ता विरोधी, पंसद विरोधी है. इससे भी बड़ी बात यह है कि उनका विरोध दुग्ध उत्पादकों के भी काम नहीं आने वाला. यह उन्हें तय करने की आजादी होनी चाहिए कि वे अपना उत्पाद कहां बेचेंगे.