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सोमवार, 9 जून, 2025
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मानसून सत्र छोटा था फिर भी प्रोडक्टिव था, लेकिन रिफार्म आसानी से नहीं हुआ है

दिप्रिंट का महत्वपूर्ण मामलों पर सबसे तेज नज़रिया.

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संसद का मानसून सत्र दूसरा सबसे छोटा सत्र था, लेकिन यह प्रोडक्टिव था विशेष रूप से कृषि क्षेत्र और श्रम सुधार विधेयकों का पारित होना. यह विवादास्पद सुधारों के माध्यम से आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार की तत्परता को दर्शाता है. लेकिन यह सब आसानी से हासिल नहीं हुआ है. सरकार और विपक्ष दोनों ही अस्थिरता के लिए दोषी थे.
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1 टिप्पणी

  1. रिफार्म तो हुआ है! लेकिन उद्योगपतियों के विकास के लिए!

    आखिर आप किस रिफार्म की बात कर रहे है! क्या पहले से ही गरीबी की मार झेल रहे किसानो और मजदूरों को शोषित बनाने की साजिश क्या आपके नजर में सुधार है?

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