छोटे राज्यों और अधिक संघों के युग में, जम्मू – कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का स्टेटस देना, ज्ञान से भरा कदम है. इसकी विशेष स्थिति को समाप्त करके भारत के साथ पूरी तरह से राज्य में एकीकृत करना एक बात है, लेकिन इसे सीधे तौर पर केंद्रीय अधिकार के अंदर रखे जाने के मामले पर सरकार को और अधिक स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए.
भाजपा को विनम्रता के साथ कश्मीरी गुस्से को संबोधित करना चाहिए, न कि उत्साहपूर्ण समारोहों से
भाजपा ने धारा 370 और 35ए पर अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता रखी है, इसे कमोबेश कश्मीर समस्या के अंत के रूप में देखा जा सकता है. लेकिन इससे इतर घाटी में कुछ भी होता है, तो इससे घाटी के लोगों में गुस्सा और अपमान बढ़ेगा. इसे संबोधित करने के लिए, भाजपा नेताओं को विनम्रता से काम लेना होगा उत्साह से नहीं.