88,032.5 करोड़ रुपये के करेंसी नोटों के “गायब हो जाने” के आरोपों का खंडन करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक का संक्षिप्त बयान अधूरा है. आरोप का जवाब अगर उसी दिन दिया गया है तो इसे थोड़ा विस्तार से दिया जाना चाहिए था. आरटीआई-आधारित आरोप को अकारण गलत कहना, जवाब दिए गए सवालों पर संदेग पैदा करता है.
होम50 शब्दों में मतनोटों के ‘गायब’ होने का सिर्फ खंडन करना पर्याप्त नहीं, रिज़र्व बैंक को इस पर विस्तार से बताना चाहिए
